वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली ने दावा किया है कि लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस देश की उन सभी विपक्षी दलों को एक साथ लेकर नई सरकार बनने जा रही है जिसके लिए केन्द्र की मौजूदा बीजेपी सरकार दुश्मन है.
 
मौजूदा लोकसभा में 42 सीट पर बैठी कांग्रेस का दावा है कि आगामी चुनावों में वह देश के राजनीतिक संतुलन को बिगाड़ने जा रही है. मोइली दलील दे रहे हैं कि बीजेपी के विरोध की सभी पार्टियों की मिलीजुली सरकार के नेतृत्व वह करने जा रही है.

लोकतंत्र में चुनाव की अहमियत राजनीतिक दल के लिए जितनी है उतनी की देश के वोटर के लिए हैं. जहां राजनीतिक दल चुनाव के जरिए सत्ता पर काबिज होने की कवायद करते हैं वहीं वोटर अपने मताधिकार से देश की नई सरकार चुनता है.

क्या लोकसभा चुनाव 2014 के नतीजों ने देश में एक स्थिर और मजबूत सरकार का गठन नहीं किया? क्या 2014 में बनी सरकार ने अपने 5 साल के कार्यकाल में आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए कठिन फैसलों को लेने में राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन नहीं किया?

मोइली, कांग्रेस के दिग्गज नेता हैं. यूपीए कार्यकाल में मोइली पर महत्वपूर्ण दायित्व रहाहै. वहीं यूपीए कार्यकाल के दौरान मोइली को अकसर कांग्रेस के लिए फायर फाइटिंग करते देखा गया. यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के ऊपर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी और पॉलिसी पैरालिसिस का आरोप लगने पर भी फायर फाइटर की भूमिका में मोइली खड़े हुए.

क्या वीरप्पा मोइली इस बात से इनकार करेंगे कि एनडीए सरकार ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में देश को एक स्थाई सरकार देने और तुरंत आर्थिक फैसले लेने वाली सरकार दी. ऐसे में क्या कांग्रेस दावा कर रही है कि वह देश से राजनीतिक स्थाइत्व को खत्म करते हुए एक बार फिर कमजोर राजनीतिक इच्छाशक्ति की सरकार लाएंगे. क्या मोइली दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस की नई सरकार देश के आर्थिक सुधार की रफ्तार और दिशा को प्रभावित करने के लिए मौजूदा सरकार के सभी दुश्मनों को एकसाथ लेकर सरकार बनाने का काम करेगी.

बहरहाल, अपने बयान में मोइली ने यह दावा नहीं किया  कि आगानी चुनावों में कांग्रेस पार्टी खुद कितने सीटों पर जीत की उम्मीद लगाकर बैठी है. वहीं कांग्रेस से उलट भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह मंच से दावा कर चुके हैं कि देश को अधिक शक्तिशाली और इच्छाशक्ति की सरकार देने के लिए एनडीए को कम से कम 320 सीट पर जीत दिलाएंगे.

ऐसे में वीरप्पा मोइली और कांग्रेस पार्टी को चिंतन की जरूरत है. देश की जनता ने 2014 में राजनीतिक स्थायित्व और इच्छाशक्ति के पक्ष में अपना मैनडेट दे चुकीहै. लिहाजा, आगामी चुनावों में भी देश की जनता की कोशिश राजनीति में स्थायित्व को जारी रखने की है. 2014 का आंकड़ा यह भी स्पष्ट करता है कि मिली जुली सरकार के पक्ष में देश का मतदाता नहीं है.