केन्द्र की सरकार के विरोधी और वामदल के समर्थक पत्रकार विनोद दुआ को कौन नहीं जानता है। एक ऐसा पत्रकार जो यौन हिंसा (मीटू) का आरोपी भी है। ये सबसे ज्यादा चौंकाने वाला है कि जिस पत्रकार को इस पड़ाव में, जहां खबरों की जांच और तथ्यों को परख कर प्रसारित करना चाहिए। वह जबरदस्ती फर्जी और नकली समाचारों को प्रचारित कर रहा है। बहरहाल ये विनोद दुआ का दूसरा चेहरा है। विनोद दुआ ने एक साक्षात्कार को काट छांट कर उसे अपने राजनीतिक लक्ष्यों हासिल करने के लिए इस्तेमाल किया और अब ये मामला पकड़ में आ गया है।

हम उस इंटरव्यू की बात कर रहे हैं, जो केन्द्रीय सड़क और जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी ने कम पहचाने जाने वाले एचडब्लू न्यूज को 21 दिसंबर को दिया। ‘विनोद दुआ शो’ नाम से प्रसारित होने वाले इस कार्यक्राम के सात वीडियो ब्लाग के जरिए दावा किया गया है कि गडकरी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपनाए हैं। आइए आपको एक एक कर हम इस साल के सनसनी वाली खबर के बारे में बताते हैं।

दुआ ने इसमें सच्चाई को संपादित किया है।

गडकरी-जब मैंने मंत्रालय का चार्ज लिया,यहां पर 403 प्रोजेक्ट विभाग में रूके हुए थे।

साक्षात्कारकर्ता- जी, सर

गडकरी-कुछ रुके हुए प्रोज्क्ट में कुछ एनपीए में बदल गए थे जबकि कुछ एनपीए में बदलने वाले थे। स्थिति काफी गंभीर थी और हम लोगों ने ये फैसला किया कि उन फिर से शुरू किया जाए और मैं ये मानता हूं कि इसके लिए सरकार की जिम्मेदारी 75 फीसदी थी। तभी दुआ अपना संपादकीय इनपुट इस साक्षात्कार में देते हैं और कहते हैं कि ये तय हो गया है कि भाजपा के भीतर असंतोष की आवाज उठनी शुरू हो गयी हैं और अब तक यशवंत सिन्हा, शत्रुघ्न सिन्हा और अरूण शौरी के बाद अब कौन विद्रोही है। अब यहां तक कि आरएसएस  (भाजपा के वैचारिक संरक्षक) से जुड़े नेता भी कह रहे हैं कि अगर आपको अगला आम चुनाव जीतना है, तो आप केवल प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी और उनकी रैलियों के बल पर नहीं जीत सकते। आपको गडकरी को सामने लाना होगा। यह संकेत गडकरी ने खुद मेरे सहयोगी अखिलेश भार्गव को दिया।

असंपादित सत्य

दुआ के इस चालक भरे चक्रव्यूह के कारण हर कोई यही विश्वास करेगा की मोदी सरकार के सबसे ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करने वाला मंत्री नितिन गड़कली ने विद्रोह कर दिया है। गडकरी जिन्हें विपक्षी दल भी पसंद करते हैं। लेकिन क्या इसमें सच्चाई है। लेकिन असंपादित जानकारी में इसका झूठ का जबाव मिल जाता है।

साक्षात्कारकर्ता: सर,जब ये प्रोजेक्ट कानूनी जाल और एनपीए में फंस गए तो उसके बाद क्या हुआ। आपने इस सेक्टर को कैसे पुनर्जीवित किया।
गडकरी: जब मैंने मंत्रालय का चार्ज लिया, मेरे विभाग के पास 403 प्रोजेक्ट अटके हुए थे। कुछ एनपीए में बदल गए थे और कुछ बदलने वाले थे। स्थिति काफी खराब थी। हम लोगों ने इन प्रोजेक्ट को फिर शुरू करने का फैसला किया। मैं ये स्वीकार करता हूं कि इसमें सरकार की जिम्मेदारी 75 फीसदी थी। यहां पर दुआ ने विद्रोह की फिरकी डाली और देखने वालों से छुपाकर ये शब्द डाले की गडकरी ने फिर क्या कहा।

गडगरी: पिछली यूपीए शासन के दौरान कोई भी पर्यावरण की मंजूरी नहीं ली गयी थी औऱ बगैर इसकी मंजूरी के बिना हम कैसे काम कर पाएंगे। महज पांच फीसदी ही जमीन का अधिग्रण किया गया था, ऐसे में कम करना मुश्किल था। वहां पर अतिक्रमण को हटाया नहीं गया था और न ही वहां से शिफ्ट किया गया था। लेकिन लोगों ने प्रोजेक्ट को शुरू कर दिया और परेशानी यहीं शुरू हुई।

वास्तव में जब गडकरी यूपीए शासन के दौरान पर्यावरण के लिए जरूरी मंजूरी और जमीन अधिग्रहण के मुद्दे प्रोजेक्ट के रूकने पर आरोप लगा रहे थे। तब दुआ ने इसे संपादित किया। ऐसे में गडकरी कैसे मोदी के लिए विद्रोही हो गए। जबकि वह तो कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार पर आरोप लगा रहे थे।

असल में फेक न्यूज के बारे में कैंब्रिज डिक्शनरी जो अर्थ दिया गया है उसके मुताबिक ‘अगर कोई किसी गलत को समाचार के तौर पर प्रसारित करता है भले ही इंटर या अन्य मीडिया के जरिए प्रसारित करता है और अपने राजनैतिक स्वार्थ को साधने के लिए इस्तेमाल करता या फिर उसे मजाक के जरिए प्रसारित करता है तो उसे फेक न्यूज कहा जाता है। ऐसा ही विनोद दुआ ने किया है। हम लोगों को लगता है कि दुआ इस अर्थ पर पूरी तरह से खरे उतरते हैं, लेकिन हम लोग ये नहीं मानते हैं कि ये मजाक है।