लखनऊ। नागरिकता संशोधन विधेयक और एनआरसी को लेकर उत्तर प्रदेश में हुई हिंसा, आगजनी व तोड़फोड़ के पीछे कहीं पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का कनेक्शन तो नहीं। पुलिस के आला अफसरों के मुताबिक राज्य में हुई हिंसा को लेकर जो ट्रेंड मिल रहा है। उसको देखते हुए इस बात की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यूपी में हुए दंगों में कुछ इसी तहत का ट्रेंड देखने को मिला है। आमतौर पर यही ट्रेंड कश्मीर में देखने को मिलता है। जिसमें अलगाववादी व आतंकवादी पत्थरबाजी करते हैं। इस पत्थर बाजी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी समर्थन देती है और इन लोगों को पैसा मुहैया कराती है। लखनऊ से जो छह लोग पकड़ गए हैं। वह पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं और ये भी हो सकता है कि आईएसआई ने बांग्लादेश के जरिए इस नेटवर्क का इस्तेमाल किया हो।

लिहाजा किसी भी संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। राज्य में जिस तरह की हिंसा हुई है। उसको देखते हुए साफ लगता है कि ये एक निश्चित सोची-समझी साजिश है। ये भी बात साफ हो रही है कि पत्थरबाजों ने इसकी तैयारी कई दिनों पहले से ली होगी। लेकिन यूपी पुलिस इंटलीजेंस व एलआईयू भनक तक नहीं लगी। पुलिस का मानना है कि जिस तरह की पत्थरबाजी राज्य में हुई अलारमिंग स्थिति है क्योंकि आने वाले समय में इस तरह की स्थिति फिर आ सकती है और इसके लिए तैयारी की जरूरत है।  पुलिस का कहना है कि कानपुर, फिरोजाबाद, बहराइच, शामली, गोरखपुर पत्थरबाजी, हिंसा,आगजनी व तोड़फोड़ में बाहरी व्यक्तियों के शामिल होने की संभावनाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है।

पुलिस अफसरों का मानना है कि इस विरोध प्रदर्शन की आड़ में दंगाईयों ने सरकारी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया है और इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि बाहरी लोगों को स्थानीय लोगों के समर्थन से भी इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि पत्थरबाज और दंगाई स्थानीय सड़कों और गलियों से पूरी तरह से वाकिफ थे। हालांकि पुलिस ने कुछ स्थानीय लोगों की भी तारीफ की, जिन्होंने लोगों का समझाया और हिंसक प्रदर्शनों को बढ़ने से रोका।