हिमाचल में कांग्रेस पार्टी एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को चुनाव की कमान सौंप सकती है. लोकसभा चुनाव में वीरभद्र सिंह के साथ ही उनकी पत्नी को लोकसभा का टिकट दिया जा सकता है. हालांकि कुछ लोग उनकी बढ़ती उम्र को कारण बताकर उनकी दावेदारी को कम कर रहे हैं. लेकिन कांग्रेस राज्य में वीरभद्र सिंह की मजबूत पकड़ को देखते हुए उनको चुनाव प्रचार की कमान सौंपने को तैयार हैं.

वीरभद्र सिंह राज्य में कांग्रेस के मजबूत नेता माने जाते हैं. उनके कद का राज्य में कांग्रेस की राजनीति में कोई नेता नहीं है. लिहाजा पार्टी एक बार फिर उन पर आगामी लोकसभा चुनाव के लिए दांव खेलने के लिए तैयार है. सिंह राज्य में कई बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं और राज्य कांग्रेस के संगठन में उनकी मजबूत पकड़ माना जाती है. इसके साथ ही उनके कांग्रेस आलाकमान के साथ बेहतर संबंध हैं. लिहाजा पार्टी उन्हें राज्य में कांग्रेस का चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बना सकती है.

हालांकि कुछ लोगों के तर्क हैं कि उनकी उम्र ज्यादा है और दिल्ली हाईकोर्ट में उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है. ऐसे में लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ बड़ा मुद्दा बना सकती है. लेकिन कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि वीरभद्र सिंह हाईकोर्ट में चल रहे मामले को भाजपा की साजिश बताते आ रहे हैं.

चार दिन पहले दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान ने राज्य के नेताओं को दिल्ली तलब किया था. जिसमें सभी राज्यों के अध्यक्ष और प्रभारी शामिल हुए थे. लिहाजा राज्य के लिए चुनाव प्रचार के लिए वीरभद्र सिंह पर कांग्रेस ने दांव खेलना चाहती ह. जबकि अन्य नेता इसके लिए उनका सहयोग करेंगे. हालांकि वीरभद्र सिंह राज्य में कांग्रेस की पूरी कमान संभालना चाहते हैं.

लेकिन सभी नेताओं को खुश रखने के लिए कांग्रेस ने किसी अन्य नेता हटाने के लिए अपनी सहमति नहीं दी है. असल कांग्रेस वीरभद्र सिंह को चुनाव समिति का प्रभारी बनाकर मौजूदा राज्य कांग्रेस अध्यक्ष की ताकतों को सीमित करना चाहती है. राज्य में कांग्रेस सभी वरिष्ठ नेताओं से समन्वय बनाकर इन कमेटियों में नियुक्तियां करेगी ताकि क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों का साधा जा सके.