नई दिल्ली। दुनिया के कई देशों को धोखा दे चुके चीन के खिलाफ अब नेपाल में आवाज उठने लगी है। चीन ने नेपाल की जमीन पर कब्जा कर लिया है। लेकिन इसके बावजूद नेपाल की केपी शर्मा ओली सरकार खामोश है। लेकिन अब नेपाल की सरकार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि नेपाल के संसद में ही सरकार के खिलाफ आवाज उठने लगी है। सांसदों ने सरकार ,से चीन के कब्जे से नेपाली भूभाग वापस लेने की मांग कर सरकार को मुश्किल में डाल दिया है।

नेपाली कांग्रेस के सांसद देवेंद्र राज कंडेल, सत्यनारायण शर्मा खनाल और संजय कुमार गौतम ने एक संकल्प प्रस्ताव दायर किया है और इसने सरकार की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। क्योंकि नेपाली सरकार चीन के गोद में बैठ गई है और नेपाल की  जमीन पर कब्जे के बाद भी ओली सरकार चीन के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोल रही है। वहीं अब सांसदों ने चीन द्वारा अतिक्रमित और कब्जा की गई नेपाली भूमि को वापस लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया है और स्थिति को साफ करने को कहा है।

सांसदों के प्रस्ताव में कहा गया है कि चीन ने नेपाल की जमीन पर अतिक्रमण किया गया है। लिहाजा सरकार इस जमीन को वापस हासिल करे। असल में चीन ने नेपाल के गोरखा, सोलुखुम्बु, दारचुला, दोलखा, हुमला सहित कई अन्य जिलों में अतिक्रमण किया है। इसके लिए नेपाली जनता ने कई बार सरकार को आगाह किया। लेकिन नेपाली सरकार अपने हितों को साधने के लिए चुप बैठी है। जानकारी के मुताबिक नेपाल और चीन के बीच सीमा पर लगे स्तंभ गायब हैं। यहां तक कि चीन ने गोरखा जिले के रूई गांव को तिब्बत में मिला लिया है।

जानें कैसे जमीन कब्जा रहा है ड्रैगन

भले ही नेपाली सरकार अपने हितों को साधने के लिए चीन के साथ गले मिल रहे हों। लेकिन चीनी सरकार नेपाल के भी नहीं बख्श रही है।  चीन सीमा पर नदियों का रुख मोड़कर नेपाली जमीन पर कब्जा कर रहा है। नेपाल के हुमला जिले में चीन ने सड़क निर्माण किया है और करनाली नदी का रुख मोड़ कई हेक्टेयर जमीन को तिब्बत में मिला लिया है। वहीं सिनजेन, भुरजुक और जंबुआ खोला नदियों की दिशा को नेपाल की तरफ मोड़कर उसने नेपाल की जमीन पर कब्जा किया है।