नई दिल्ली। दिल्ली के शाहीन बाग में पिछले एक महीने से धरने पर बैठे लोगों की मुश्किलें बढ़ने जा रही हैं। अब जनता ने इस रास्ते को खोलने के लिए बीड़ा उठाया। शाहीन बाग में नागरिकता संसोधन कानून विरोध में चल रहे धरने के कारण रोज लाखों लोगों को परेशानी हो रही है। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी कालिंदी कुंज मार्ग को नहीं खोल रहे हैं और धरने पर बैठे हैं। यहां पर बंद सड़कों में बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं और गंदी फैली हुई है। लिहाजा अब इस धरने से परेशान जनता ने इस रास्ते को खोलने की तैयार की है। जनता ने दिल्ली पुलिस को एक हफ्ते का समय दिया है। अगर ऐसा नहीं होता है तो जनता इसके लिए मार्च  निकालेगी।

नागरिकता कानून के विरोध में पिछले चालीस दिन बंद शाहीन बाग रोड को खुलवाने के लिए जनता मार्च निकालने की तैयारी कर रही हैं। हालांकि अब ये धरना प्रदर्शन खानापूर्ति के लिए रह गया है। क्योंकि इस प्रदर्शन को अब केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों का समर्थन मिल रहा है। क्योंकि अब प्रदर्शकारी आक्रामक भी हो रहे हैं। शुक्रवार को वहां पहुंचे पत्रकारों पर भी प्रदर्शकारियों ने हमला किया और मारपीट की औैर उनके कैमरे भी तोड़े। वहीं  अब सरिता विहार और जसोल के लोग इस रास्ते को खुलवाने के लिए आगे आए हैं।

क्योंकि इन लोगों का कहना है कि इस प्रदर्शन ने जनता को परेशानी हो रही है। रोज लाखों लोग इस  रास्ते का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन प्रदर्शनकारी वहां पर आराम  से बैठे हैं। बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं और रास्तों पर गंदगी फैली हुई है। फिलहाल जनता ने  40 दिन से बंद कालिंदी कुंज मार्ग को खुलवाने के लिए मार्च निकालने का फैसला किया है और इसके लिए दिल्ली पुलिस को एक हफ्ते का समय दिया है। जनता का कहना है कि अगर पुलिस उनकी  मदद नहीं करती है तो वह खुद  शाहीन बाग तक मार्च निकालेंगे। वहीं सरिता विहार के स्थानीय लोगों का कहना है कि वो 2 फरवरी को प्रदर्शन करेंगे और शाहीन बाग तक मार्च निकालेंगे।

स्थानीय निवासियों ने सरिता विहार के एसीपी अजब सिंह से भी मुलाकात की और कहा कि अगर एक हफ्ते के भीतर रास्ता नहीं खोला गया तो स्थानीय निवासी शाहीन बाग में प्रदर्शन करेंगे। गौरतलब है कि तीन  पहले  ही शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की थी। उपराज्यपाल ने इन लोगों को जनता  के लिए रास्ता खोले जाने की मांग की थी। प्रदर्शनकारियों ने उपराज्यपाल को आश्वासन दिया था कि वह जल्द ही रास्ता खोलेंगे। लेकिन उसके बावजूद अभी तक रास्ता नहीं खोला गया है।