भारत ने उच्च मध्यम आय वर्ग के देश बनने के लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में विकास के तमाम पहलुओं को चिन्हित किया है। जैसे कि संसाधन कुशल और समावेशी विकास, नौकरी के अवसर बनाना और मानव संसाधन का विकास आदि। इस ढांचे के सशक्तिकरण के लिए इंटरनेशनल बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट, इंटरनेशनल फाइनेंस कॉर्पोरेशन और मल्टीलेटरल इन्वेस्टमेंट गारंटी एजेंसी की तरफ से 25 से 30 बिलियन डॉलर सहायता राशि मिलने का अनुमान है। 


“वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था और पिछले सालों में बहुत बड़ी संख्या में गरीबों को गरीबी रेखा से उबारने की वजह से भारत 2030 तक उच्च-मध्यम वाले देश की तौर पर पहचान बनाने की स्थिति में है”। ये कहना है विश्व बैंक दक्षिण एशिया की उपाध्यक्ष हार्टविग सैफर का।


विश्व बैंक के भारत में कंट्री निदेशक जुनैद अहमद ने बताया कि ये पांच सालों का फ्रेमवर्क है जिसको लेकर बैंक की साझेदारी होगी। जहां वित्तीय प्रतिबद्धता को हासिल करने के लिए हम ये देखेंगे कि हमें क्या और कैसे करना है। यह किसी भी देश के साथ पहला कंट्री पार्टनरशिप फ्रेमवर्क है।


विश्व बैंक ने भारत के लिए सीपीएफ का समर्थन करने के तुरंत बाद अहमद ने कहा कि बोर्ड पिछले कई दशकों में भारत के अविश्वसनीय विकास और विकास को मान्यता देता है।


सीपीएफ को लेकर विश्व बैंक की साझेदारी के तुंरत बाद ही अहमद ने कहा कि, बोर्ड ने इस  बात को माना है कि भारत ने पिछले दशकों में अतूलनीय विकास और समृद्धि हासिल की है। 


जुनैद अहमद ने कहा कि यह देखा गया है कि भारत निम्न आय वाले देश से निम्न मध्यम आय वाले देश के रूप में पहचान बनाई है। और अब भारत निम्न मध्यम आय वाले देश से उच्च मध्यम वाले देश के रूप में तब्दील होने की राह पर है। अहमद ने यह भी कहा कि सीपीएफ भारत सरकार के साथ एक संयुक्त दस्तावेज है।


आर्थिक मामलो के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने एक बयान जारी कर कहा है कि भारत के विकास, निवेश को बढ़ावा देने के लिए विश्व बैंक समूह को सीपीएफ पर भागिदारी करने के लिए धन्यवाद करता हूं।