राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने कहा है कि 'भारत अस्थिर गठबंधनों का जोखिम नहीं ले सकता। कमजोर गठबंधन देश के लिए बुरा होगा।’भारत को अपने राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले दस साल तक एक मजबूत, स्थायी और निर्णायक सरकार की जरूरत है। 

उन्होंने दिल्ली में आकाशवाणी द्वारा आयोजित सरदार पटेल व्याख्यान देते हुए दावा किया कि पिछले चार साल में देश की ‘राष्ट्रीय इच्छाशक्ति’को जागृत किया गया है। उन्होंने ‘सपने भारत 2030 : अड़चनों को नकाराते हुए’ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि लोकतंत्र भारत की ताकत है और उसे संरक्षित रखने की जरुरत है।

एनएसए ने कहा कि कमजोर लोकतंत्र में देश की ताकत को कमजोर बनाने की प्रवृत्ति होती है। भारत अगले कुछ वर्षों तक ताकत के लिहाज से कमजोर होना बर्दाश्त नहीं कर सकता। उसे कठोर निर्णय करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। उन्होंने कहा, 'यदि वह ताकत की दृष्टि से कमजोर हुआ तो आपको समझौते करने होंगे। जब आपको समझौते करते पड़ते हैं तो आपका राजनीतिक अस्तित्व राष्ट्रहित से ऊपर हो जाता है। ’
    
उन्होंने कहा कि खंडित राजनीति भारत के लिए उसकी इच्छाशक्ति को साकार करना असंभव बना देगी क्योंकि कमजोर सरकारें कठोर निर्णय लेने में असमर्थ होती हैं। डोभाल ने कहा कि भारत को आगे ले जाने के लिए कठोर निर्णय लेने जरूरी होंगे। ऐसे निर्णय लोगों के लिए अच्छे तो होंगे। लेकिन आवश्यक नहीं है कि वे लोकप्रिय भी हों।    

उन्होंने कहा, ‘इस संबंध में कोई संदेह नहीं हो कि भारत को अपने राष्ट्रीय, राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक उद्देश्यों को हासिल करने के लिए अगले दस सालों तक मजबूत, स्थिर और निर्णायक सरकार की जरूरत होगी ।’ उन्होंने कहा कि कमजोर गठबंधन देश के लिए बुरे होंगे। उन्होंने कहा कि अस्थिर शासन के बिखरने एवं भ्रष्टाचार में संलिप्त होने का जोखिम अधिक रहता है। साथ ही स्थानीय राजनीतिक हित व्यापक हितों पर हावी हो जाते हैं। 

अपने भाषण में डोभाल ने ब्राजील का उदाहरण दिया जो वैश्विक स्तर पर तो अच्छा कर रहा है लेकिन राजनीतिक अस्थिरता उसकी वृद्धि बाधित कर रही है। उन्होंने कहा, ‘भारत अस्थिर गठबंधनों का जोखिम नहीं ले सकता। ’उन्होंने कहा कि 2030 तक भारत को निर्णायक सरकार और निर्णायक नेतृत्व की जरूरत है। उन्होंने धार्मिक प्रतिबद्धता के साथ कानून के शासन पर कायम रहने आवश्यकता पर भी बल दिया।