पश्चिम बंगाल के नदिया जिले की कृष्णागंज विधानसभा से तृणमूल कांग्रेस के विधायक सत्यजीत बिस्वास की शनिवार को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी। सत्यजीत बिस्वास को उस समय गोली मारी गई जब वह अपनी पत्नी और बेटी के साथ अपने विधानसभा क्षेत्र में बने सरस्वती पूजा पंडाल में दर्शन के लिए गए थे।

तभी बिस्वास के उपर पहले से घात लगाकर बैठे हमलावरों ने उनके उपर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी। इस घटना के बाद दर्ज एफआईआर में बीजेपी नेता मुकुल रॉय का भी नाम है।

पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को हिरासत में लिया है। नदिया जिले के एसपी रुपेश कुमार ने बताया,'हमने लोगों को हिरासत में लिया है। हमने हत्‍या में इस्‍तेमाल किया गया देसी हथियार भी जब्‍त कर लिया है। शुरुआती जांच में सामने आया है कि उन्‍हें पीछे से गोलियां मारी गईं। यह सुनियोजित तरीके से की गई हत्‍या है।'

बिश्‍वास मटुआ समुदाय से आते हैं जो कि राजनीतिक रूप से बंगाल में काफी अहम है। बीजेपी और टीएमसी दोनों की ही इस समुदाय पर नजर है। पिछले चुनावों में मटुआ समुदाय का समर्थन ममता बनर्जी के साथ रहा है। इस बार बीजेपी ने इस समुदाय में काफी जगह बनाई है। मटुआ समुदाय आजादी के समय बांग्‍लादेश से भारत आया था।

टीएमसी ने इस मामले को राजनीतिक हत्या करार दिया है। पार्टी ने इसे राजनीतिक हत्‍या बताया और दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की मांग की। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन आरोपों से इनकार किया है। उन्‍होंने कहा कि यह टीएमसी की आपसी गुटबाजी की लड़ाई है। उन्‍होंने मांग की है कि दोषियों को जल्‍द से जल्‍द पकड़ा जाए। उन्‍होंने सीबीआई जांच की मांग की है और कहा कि उन्‍हें पश्चिम बंगाल पुलिस पर विश्‍वास नहीं है।

फिलहाल पुलिस टीएमसी विधायक सत्यजीत बिस्वास की हत्या के मामले की जांच कर रही है और दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तो वहीं हंसखाली पुलिस स्टेशन के इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया गया है। हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह राजनीतिक हत्या का मामला है, जैसा आरोप टीएमसी लगा रही है।