नई दिल्ली। पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के तहत एक और युवक को फांसी देने का फैसला तालिबानी कोर्ट ने सुनाया है। पाकिस्तान में 37 साल के आसिफ परवेज का कहना है कि जब उसने इस्लाम धर्म कबूलने से इनकार कर दिया तो उसके सुपरवाइजर ने उस पर ईश निंदा का आरोप लगाया। जबकि उसने इस्लाम की निंदा नहीं की। 

असल में पाकिस्तान में पिछले दो साल से ईशनिंदा कानून के तहत गैर मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। पाकिस्तान में लगातार गैरमुस्लिमों को इस कानून के तहत प्रताड़ित किया जा रहा है। फिलहाल पाकिस्तान में नया मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक लाहौर स्थित एक कोर्ट ने उसे आसिफ को  3 साल जेल की सजा सुनाई है और 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं कोर्ट ने कहा कि उसे सजा पूरी होने के बाद फांसी पर लटका दिया जाए।

आसिफ को इस्लाम की निंदा के लिए 2013 से ही जेल में रखा गया है। आसिफ का कहना है कि एक फैक्ट्री में काम छोड़ने के बाद उसके पूर्व सुपरवाइजर ने उससे संपर्ककिया था और इस्लाम कबूल करवाने की कोशिश की थी। लेकिन उसने इस्लाम को कबूल करने के लिए मना कर दिया।  इसके बाद सुपरवाइजर ने उस पर ईशनिंदा का आरोप लगाया। गौरतलब है कि पाकिस्तान में ईश निंदा लागू है और इसके तहत इस्लाम, पैगंबर मुहम्मद, कुरान और अन्य धार्मिक चीज के अपमान पर कड़ी सजा दी जाती है।  

जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान में करीब 80 गैरमुस्लिम ईश निंदा के आरोप में जेल में बंद हैं और इसमें से आधे को मौत की सजा या आजीवन कैद की सजा दी गई है। उधर पाकिस्तान के मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि ईश निंदा कानून आमतौर पर गैर मुस्लिमों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाते हैं। इसके जरिए पाकिस्तान में गैर मुस्लिमों की जमीन पर कब्जा करना और उनके परिवार की लड़कियों के साथ विवाह करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। पाकिस्तान में जुलाई में पाकिस्तानी मूल के एक अमेरिकी नागरिक पर ईशनिंदा कानून के तहत की कोर्ट में मामला चल रहा था। लेकिन उसकी कोर्ट में ही हत्या कर दी गई थी।