अगर ग्राहकों को मौके पर सेवा उपलब्ध कराने की बात हो तो यह कैसी होनी चाहिए, रेलवे ने एक बहुमूल्य जीवन बचाकर इसका उदाहरण सामने रखा है। दूरंतो एक्सप्रेस से दिल्ली से चेन्नई जा रही एक मरीज को आपात परिस्थिति में महज एक ट्वीट के बाद तत्काल चिकित्सीय सहायता उपलब्ध करा रेल मंत्री की सक्रियता ने सबका ध्यान खींचा है। इस मरीज के साथ जा रहे डॉक्टर के पास सभी जरूरी दवाएं थीं, लेकिन उनकी ट्रेन छूट गई। रास्ते में मरीज की हालत बिगड़ गई। उसे ऑक्सीजन की तत्काल जरूरत थी। ऐसे हालात में मरीज की दोस्त अंकिता सूद के एक ट्वीट पर रेल मंत्री पीयूष गोयल ने अगले स्टेशन पर डॉक्टर और दवाएं उपलब्ध करवा दीं। खास बात यह है कि अंकिता मरीज के साथ यात्रा नहीं कर रही थीं। 

मीनाक्षी के परिजनों द्वारा अंकिता से संपर्क साधे जाने के बाद उसने अपने ट्वीट में जरूरत के सामान का ब्यौरा और टिकट की डिटेल दी। दरअसल, मीनाक्षी बीमार थीं और दुरंतो एक्सप्रेस से दिल्ली से चेन्नई जा रही थी। उनका कोच नंबर ए2 था।  मीनाक्षी को न केवल सांस लेने में दिक्कत हो रही थी बल्कि उनके शरीर में पानी की भी कमी हो गई थी। यह मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति थी। उनके लिए दो अतिरिक्त ऑक्सीजन सिलिंडर की जरूरत थी।

मीनाक्षी की दोस्त अंकिता को जब यह खबर मिली तो वह घबरा गईं। ऐसे में उसने रेल मंत्री पीयूष गोयल से मदद की गुहार लगाना ही सबसे आसान समझा। उसने पीयूष गोयल को ट्वीट कर पूरी स्थिति बताई। इसका उसे तुरंत जवाब भी मिला। यात्रियों की मदद के लिए शुरू किए गए 'रेलवे सेवा' को तुरंत जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए। 

इसके तुरंत बाद जीपीएस की मदद से ट्रेन की लोकेशन पता की गई और झारखंड के डीआरएम (डिवीजनल रेलवे मैनेजर) को जल्द से जल्द चिकित्सीय सहायता उपलब्ध कराने को कहा गया। 

हालांकि इससे पहले ही झांसी स्टेशन पर एक डॉक्टर जरूरी दवाओं के साथ मीनाक्षी का इंतजार कर रहा था। इस दौरान डीआरएम- इलाहाबाद, डीआरएम-झांसी और डीआरएम-झारखंड मरीज और उच्च अधिकारियों के संपर्क में रहे। रेल मंत्री का कार्यालय भी समय रहते मदद उपलब्ध कराने के लिए लगातार निगरानी करता रहा। 

https://twitter.com/ankitasood13/status/1052232936676704256?s=19

'माय नेशन' से बात करते हुए अंकिता ने कहा, 'मैं ट्रेन में नहीं थी और मीनाक्षी टि्वटर पर नहीं हैं। जब उनके परिवार ने मुझे मदद के लिए फोन किया तो मैंने उनकी तरफ से ट्वीट किया। वो लोग बहुत घबराए हुए थे। मेरे ट्वीट के 30 मिनट के अंदर ही रेलवे ने डीआरएम झांसी से संपर्क कर लिया था। इसके बाद डीआरएम झांसी ने मरीज के परिजनों से संपर्क साधा और उन्हें रेलवे द्वारा की गई व्यवस्था की जानकारी दी। साथ ही उस डॉक्टर का नंबर भी दिया जो स्टेशन पर उनके लिए उपलब्ध था।'

इसके बाद मीनाक्षी के परिवार के एक सदस्य श्रीधरन ने रेलवे के अधिकारियों से संपर्क कर इमरजेंसी के दौरान की गई मदद के लिए आभार जताया।  श्रीधरन ने कहा, 'यह अविश्वसनीय है कि मोदीजी की अगुवाई में चल रही मौजूदा सरकार और रेल मंत्री पीयूष गोयल की सक्रियता से मीनाक्षी की जिंदगी बच सकी।'

अगर रेलवे को उसकी ट्रेनों की लेटलतीफी के चलते निशाना बनाया जाता है तो यह घटना अपने आप में खास है। यह इस बात का उदाहरण है कि एक मंत्री अपनी शक्तियों का उपयोग कर कैसे एक बहुमूल्य जीवन बचा सकता है। यह डिजिटल भारत अभियान की सफलता का जीता जागता सबूत है।