नई दिल्ली। भाजपा की दिग्गज नेता और विदेश मंत्री रही स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने महज 25 साल की उम्र में राजनीतिक करियर की शुरूआत की थी। 1999 में उनके राजनीतिक जीवन में वह भी क्षण आया जब उन्हें विदेशी बहू से चुनावी लड़ाई पड़ी।

असल में 1999 के लोकसभा में भाजपा ने सुषमा स्वराज को बेल्लारी से प्रत्याशी बनाया था और यहां से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी चुनाव लड़ रही थी। ये चुनाव विदेशी बहू बनाम आदर्श भारतीय नारी का बन गया था। हालांकि सुषमा को चुनाव में हार का सामना कर पड़ा था।

लेकिन ये चुनाव पूरे देश ही बल्कि विदेशों में चर्चा का विषय बना रहा। यही नहीं सुषमा ने 2004 में ऐलान कर दिया था कि अगर सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह अपने बाल कटा कर भिक्षुणी बनी जाएंगी।

सुषमा स्वराज को भारतीय राजनीति के तेज-तर्रार वक्ताओं में गिना जाता है। उनके भाषणों ने विदेशों में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर घेरा तो वहीं कई मुद्दों पर भाजपा की ढाल बनी। लेकिन उनके राजनीतिक जीवन में 1999 अहम बना। उन्होंने कर्नाटक के बेल्लारी से तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा।

ये चुनाव विदेशी बहू बनाम आदर्श भारतीय नारी बना। जिसमें सोनिया विदेशी बहू के तौर पर प्रचारित किया जबकि सुषमा को संस्कारी बहू के तौर भाजपा ने मैदान में उतारा। दो ही दलों के बीच चुनावी बाण चले। हालांकि इस चुनावी लड़ाई में सोनिया गांधी को जीत मिली।

लेकिन सुषमा ने हार कर भी देशवासियों का दिल अपने भाषणों से जीता। हालांकि सोनिया इसके साथ ही अमेठी से भी चुनाव लड़ा था और उन्होंने दोनों जगहों पर जीत हासिल की थी।हालांकि 1999 में हार के बाद पार्टी ने सुषमा स्वराज को फिर से राज्यसभा में भेजा और वह 2000 में केन्द्र में वाजपेयी जी की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनी।

लेकिन सुषमा और सोनिया की राजनीतिक अदावत चलती रही। केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के लोकसभा चुनाव  हार जाने के बाद जब साल 2004 के लोकसभा चुनावों के बाद इस बात की चर्चा होने लगी कि सोनिया गांधी देश की प्रधानमंत्री बन सकती है तो सुषमा स्वराज ने इसका विरोध अलग तरीके से किया।

उन्होंने ऐलान कर दिया कि अगर सोनिया गांधी प्रधानमंत्री बनती हैं तो वह बाल कटा लेंगी और भिक्षुणी बन जाएंगी। हालांकि ये दोनों चीजें नहीं हुई। सोनिया प्रधानमंत्री नहीं बनी और सुषमा को भी बाल नहीं कटाने पड़े।