फिलहाल राज्य में भी कमलनाथ के खिलाफ बगावत तेज हो गयी है। कई नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक और मंत्री प्रदेश की कमान अन्य नेता को देने की वकालत कर रहे हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को देने की मांग उठ चुकी है। जिसके कारण कमलनाथ की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में कमलनाथ पर बेटे को जीताने के लिए पूरी ताकत लगाने के आरोप लगे हैं। वहीं अब कमलनाथ की सरकार पर खतरा मंडरा रहा है। लिहाजा कमलनाथ ने खुद को भोपाल तक ही सीमित कर दिया है। वह भोपाल को छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं और हर विधायक पर नजर रखे हुए हैं।
असल में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ को आशंका है कि बीजेपी उसके विधायकों को तोड़ सकती है और जिसके बाद उसकी सरकार गिर जाएगी। लिहाजा सरकार बचाने के लिए उन्होंने खुद को भोपाल में एक तरह से कैद कर लिया है। वह राजधानी छोड़कर कहीं नहीं जा रहे हैं और सभी विधायकों पर नजर रखे हुए हैं।
इसके लिए सरकारी तंत्र को भी सजग कर दिया गया है। ताकि कोई विधायक बीजेपी नेताओं के संपर्क में न आ सके। कमलनाथ के सरकार गिरने के डर को इससे समझा जा सकता है कि वह पिछले दिनों कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी शामिल नहीं हुए। कमलनाथ को डर है कि बीजेपी कांग्रेस विधायकों की हॉर्स ट्रेडिंग कर सकती है।
फिलहाल राज्य में भी कमलनाथ के खिलाफ बगावत तेज हो गयी है। कई नेताओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विधायक और मंत्री प्रदेश की कमान अन्य नेता को देने की वकालत कर रहे हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष की कमान ज्योतिरादित्य सिंधिया को देने की मांग उठ चुकी है।
जिसके कारण कमलनाथ की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। विदित है कि राज्य विधानसभा में 230 हैं और इसमें कांग्रेस के 114 और बीजेपी के 109 विधायक हैं। राज्य की कांग्रेस की सरकार को दो बीएसपी और एक एसपी और चार निर्दलीय विधायक ने समर्थन दिया है।
जबकि बीजेपी की नजर निर्दलीय विधायकों के साथ ही बीएसपी विधायकों पर है। लिहाजा पिछले दिनों कमलनाथ ने सभी विधायकों से मिलकर उसकी शिकायतों को दूर करने का आश्वासन दिया था।
Last Updated May 29, 2019, 9:08 AM IST