भारत और पाकिस्तान दोनों ही जेनेवा समझौते से बंधे हुए हैं। जो कि मुख्य रूप से युद्धबंदियों के मानवाधिकारों को बनाये रखने के लिए बनाया था। यानी अगर दो देशों के बीच चल रहे युद्ध के दौरान कोई सैनिक बंदी बना लिया जाए तो उसके साथ मानवीय सलूक किया जाए।

इसके लिए जेनेवा समझौते के तहत कई नियम बनाए गए हैं। जो कि युद्धबंदियों (Prisoner of war) के अधिकारों को बरकरार रखते हैं। 

जेनेवा समझौते के मुख्य नियम इस प्रकार हैं- 

1. युद्धबंदियों से उनका नाम, सैन्य पद और नंबर पूछा जा सकता है और युद्धबंदी की जाति, धर्म, जन्‍म आदि बातों के बारे में नहीं पूछा जा सकता है। 

2. घायल सैनिक की उचित देखरेख की जाती है यदि कोई घाव या चोट लगी हो तो उसका उपचार भी किया जाता है।

3. युद्धबंदियों को खानापीना और जरूरत की सभी चीजें उपलब्ध कराई जाती हैं। 

4. किसी भी युद्धबंदी के साथ अमानवीय बर्ताव नहीं किया जा सकता है।

5. किसी देश का सैनिक (स्त्री या पुरुष) जैसे ही पकड़ा जाता है उस पर यह संधि तत्काल लागू होती है।

6. किसी भी युद्धबंदी को डराया धमकाया या मारा पीटा नहीं जा सकता।

7. युद्धबंदियों पर या तो मुकदमा चलाया जा सकता है या युद्ध के बाद उन्हें उनके देश को लौटा दिया जाता है।

जेनेवा समझौते में चार संधियां और तीन अतिरिक्त प्रोटोकॉल(मसौदे) शामिल हैं। यह संधि युद्ध बंदियों के मानवाधिकारों का संरक्षण करती है। इसके लिए पहली संधि 1864 में हुई थी। इसके बाद दूसरी संधि 1906 में और तीसरी संधि 1929 में हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1949 में 194 देशों ने मिलकर चौथी संधि की थी जो अब तक लागू है।

हालांकि पाकिस्तान हर समय जेनेवा संधि का पालन नहीं करता है। लेकिन इस समय पूरी दुनिया का दबाव पाकिस्तान के उपर है। ऐसे में पाकिस्तान किसी भी सूरत में जेनेवा समझौते का उल्लंघन करके मुश्किल में नहीं पड़ना चाहेगा।

खास तौर पर पर जब प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नए भारत ने अपनी ताकत दिखानी शुरु कर दी है तब पाकिस्तान किसी तरह का दुस्साहस करने के पहले सौ बार सोचेना पड़ेगा।