आम तौर पर विरोधियों का प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप होता है, कि वह सिर्फ हिंदुओं के नेता है। लेकिन शुक्रवार को इंदौर में दाऊदी शिया बोहरा समुदाय के कार्यक्रम में शामिल होकर प्रधानमंत्री ने इस दुष्प्रचार की हवा निकाल दी। वहां उनका इतना भव्य स्वागत हुआ, कि विरोधियों की आंखें खुली रह गई। 

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   लेकिन दाऊदी बोहरा समुदाय भी कोई आम समुदाय नहीं है। उसमें इतनी ज्यादा खासियतें हैं कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी का दिल जीत लिया। इस समुदाय से मोदी का वास्ता बेहद पुराना है। उनके गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी बोहरा समुदाय से मोदी के बड़े अच्छे ताल्लुक थे। आइए जानते हैं दाऊदी बोहरा समुदाय की खासियतों के बारे में-


1.    यह एक निहायत सुसंस्कृत, अनुशासित, अमनपसंद और तरक्कीपसंद कौम है। 

2.    इस समुदाय के लोग सफल व्यापारी होते हैं। इसमें से ज्यादातर नौकरी नहीं करते, बल्कि अपना कारोबार करके दूसरों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करते हैं। 

3.    दाऊदी बोहरा समुदाय की मान्यताएं कट्टरपंथी वहाबी इस्लाम से बहुत अलग है। इसलिए कई बार तो कट्टरपंथी मौलाना, दाऊदी बोहरा लोगों को मुसलमान मानते ही नहीं। खुद बोहरा समुदाय के लोग मोहम्डन कहे जाने की बजाए खुद को मोमिन कहा जाना ज्यादा पसंद करते हैं। मोमिन का शाब्दिक अर्थ है, गंभीर जिज्ञासा के साथ सत्य पर ईमान लाने वाला। 

4.    दाऊदी बोहरा समुदाय में शिक्षा का प्रसार बहुत ज्यादा है। इनमें शायद ही कोई निरक्षर मिले।  

5.    दाऊदी शिया बोहरा समाज के लोगों पर पिछले 20 वर्ष मे कोई आपराधिक FIR दर्ज नहीं है। 

6.    इस समुदाय में भिखारी नहीं होते और ज्यादातर लोग आयकर का भुगतान करने वाले होते हैं। 

7.    शादियों में दहेज लेना हराम समझते हैं। इनके यहां निकाह हमेशा सामूहिक होता है, जिससे कि फिजूलखर्ची न हो।

8.    चार निकाह और तीन तलाक का विधान दाऊदी बोहरा समुदाय में नहीं होता। 

9.    नए लड़कों को पूरा समुदाय मिलकर पसंदीदा कारोबार शुरु कराने में मदद करता है। इसके लिए बकायदा उन्हें प्रैक्टिकल ट्रेनिंग दिलाई जाती है, और पूंजी निवेश करवा कर कारोबार शुरु करवाया जाता है। 

10.    नया व्यापार शुरु करने के लिए मस्जिद से बिना ब्याज का लोन दिया जाता है। 

11.    संपत्ति-उत्तराधिकार जैसे विवादों का निपटारा ज्यादातर आपस में मिल-बैठकर किया जाता है। लड़ाई झगड़े की खबरें नहीं आती हैं।

12.    मुहर्रम के महीने में निशुल्क खाना मस्जिद से हर घर जाता है। समुदाय का कोई भी एक व्यक्ति इसका खर्च वहन करता है। दिलचस्प बात यह है कि इस प्रथा के लिए आने वाले 20 साल तक बुकिंग हो चुकी है। यानी आज कोई मुहर्रम के महीने में महीने भर के लिए खाना खिलाना चाहे, तो उसे बीस साल तक इंतजार करना होगा। 

तो यह थीं दाऊदी बोहरा समुदाय की कुछ ऐसी खासियतें जो कि उन्हें समाज में एक खास जगह दिलाती हैं। इन्हीं खासियतों ने प्रधानमंत्री का दिल जीत लिया। दाऊदी बोहरा समुदाय ने अपनी मेहनत और लगन से अपने समुदाय के अंदर ऐसी व्यवस्था बनाई है, कि आज सचमुच यह कहा जा सकता है, कि दाऊदी बोहरा समुदाय में पैदा होना अपने आप में खुशकिस्मती है।