ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक समीक्षा याचिका दायर की है। बोर्ड एक निजी संगठन है, इसमें न तो चुनाव होते हैं, न ही सरकारी प्रतिनिधित्व होता है और न ही इसे सदस्यता के लिए किसी योग्यता की आवश्यकता होती है। यह 47 साल पहले इंदिरा गांधी के काल में स्थापित एक गैर-लाभकारी संगठन है, जिसकी वैधता बेहद संदिग्ध है। इस संगठन के सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) जैसे आतंकवादी संगठनों का समर्थन करते हैं। वे अपने आप को भारतीय मुसलमानों के लिए मुखपत्र के रूप में चित्रित करते हैं जो उनकी कल्पना के अलावा कुछ भी नहीं है। अदालत ने पांच सम्मानित न्यायाधीशों की पीठ द्वारा संचित सबूतों और सुनवाई के वर्षों के बाद अपना निर्णय दिया है। वे अनुग्रहपूर्वक फैसले को स्वीकार करने के बजाय, अब लोगों के बीच हिंसा भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। यह मुझे रामधारी सिंह "दिनकर" की एक कविता की याद दिलाता है।
कृष्ण की चेतावनी 
-रामधारी सिंह "दिनकर"

वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर।
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है।

मैत्री की राह बताने को,
सबको सुमार्ग पर लाने को,
दुर्योधन को समझाने को,
भीषण विध्वंस बचाने को,
भगवान् हस्तिनापुर आये,
पांडव का संदेशा लाये।

‘दो न्याय अगर तो आधा दो,
पर, इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम,
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे,
परिजन पर असि न उठायेंगे!

दुर्योधन वह भी दे ना सका,
आशीष समाज की ले न सका,
उलटे, हरि को बाँधने चला,
जो था असाध्य, साधने चला।
जब नाश मनुज पर छाता है,
पहले विवेक मर जाता है।

हरि ने भीषण हुंकार किया,
अपना स्वरूप-विस्तार किया,
डगमग-डगमग दिग्गज डोले,
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन! बाँध मुझे।

यह कविता समाप्‍त करती है कि कैसे एक निश्चित समूह शांतिपूर्वक उन लोगों के लिए अनुरोध करता है जो उनका अधिकार है। यहां विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए, यह केवल तभी समझदारी है जब हम खुद को नफरत फैलाने और हिंसा के किसी भी रूप को बढ़ावा देने से रोकते हैं। हम सभी को इमानदारी से फैसले को स्वीकार करना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए और भारत की आर्थिक प्रगति का हिस्सा होना चाहिए। हमें क्षुद्र राजनीति में लिप्त नहीं होना चाहिए और हमेशा एकजुट रहना चाहिए!

(अभिनव खरे एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ हैं, वह डेली शो 'डीप डाइव विद अभिनव खरे' के होस्ट भी हैं। इस शो में वह अपने दर्शकों से सीधे रूबरू होते हैं। वह किताबें पढ़ने के शौकीन हैं। उनके पास किताबों और गैजेट्स का एक बड़ा कलेक्शन है। बहुत कम उम्र में दुनिया भर के 100 से भी ज्यादा शहरों की यात्रा कर चुके अभिनव टेक्नोलॉजी की गहरी समझ रखते है। वह टेक इंटरप्रेन्योर हैं लेकिन प्राचीन भारत की नीतियों, टेक्नोलॉजी, अर्थव्यवस्था और फिलॉसफी जैसे विषयों में चर्चा और शोध को लेकर उत्साहित रहते हैं। उन्हें प्राचीन भारत और उसकी नीतियों पर चर्चा करना पसंद है इसलिए वह एशियानेट पर भगवद् गीता के उपदेशों को लेकर एक सफल डेली शो कर चुके हैं।

अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, कन्नड़ और तेलुगू भाषाओं में प्रासारित एशियानेट न्यूज नेटवर्क के सीईओ अभिनव ने अपनी पढ़ाई विदेश में की हैं। उन्होंने स्विटजरलैंड के शहर ज्यूरिख सिटी की यूनिवर्सिटी ईटीएच से मास्टर ऑफ साइंस में इंजीनियरिंग की है। इसके अलावा लंदन बिजनेस स्कूल से फाइनेंस में एमबीए (एमबीए) भी किया है।)