देश में रोहिंग्या मुसलमानों की समस्या गंभीर रुख लेने लगी है। क्योंकि नेता लोग इन्हें भी अपने वोट बैंक के रुप में इस्तेमाल की कोशिश में जुट गए हैं। 
बीएसएफ के महानिदेशक(डीजी) के.के.शर्मा ने यह सनसनीखेज खुलासा किया है। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेन्स में यह जानकारी दी, कि पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के साथ मित्रवत व्यवहार कर रही है। उन्हें कैंपों में बसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब किसी रोहिंग्या का बाहर से भारत आना मुश्किल है, लेकिन जो रोहिंग्या पहले भारत में घुस चुके हैं, उन्हें पश्चिम बंगाल शरण दे रहा है। इसे बीएसएफ रोक नहीं सकती। 

 

बीएसएफ डीजी का यह बयान इसलिए भी सही लगता है, क्योंकि कुछ ही दिनों पहले ममता बनर्जी कह भी चुकी हैं, कि उन्हें रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों में कोई भी आतंकी नहीं दिखता।ममता बनर्जी के इसी बयान से उनकी नीयत साफ हो जाती है, कि वह रोहिंग्याओं को लेकर क्या विचार रखती हैं। 

रोहिंग्या मुसलमानों को आतंकवाद फैलाने के इल्जाम में म्यांमार से भगाया जा रहा है। यह लोग बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं। इनका एक बड़ा हिस्सा भारत में घुसने की फिराक में लगा रहता है।

म्यांमार ने इनपर कार्रवाई इसलिए शुरु की, क्योंकि रोहिंग्याओं के आतंकवादी संगठन अराकान रोहिंग्या सालवेशन आर्मी यानी आरसा ने म्यांमार के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा था। इन आतंकियों ने योजनाबद्ध तरीके से म्यांमार के बॉर्डर गार्ड्स पर हमला किया जिसमें दर्जन भर से ज्यादा सिपाही मारे गए। रोहिंग्या आतंकियों ने म्यांमार के उत्तरी रखाइन इलाके की 20(बीस) पुलिस चौकियों को भी ध्वस्त कर दिया था।

जिसके बाद म्यांमार की सेना ने इन आतंकियों और उनके समर्थकों को अपने देश की सीमा से खदेड़ना शुरु कर दिया। इसमें से ज्यादातर बेहद क्रूर और अपराधी मानसिकता के हैं।

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने हिंदुओं पर रोहिंग्या मुस्लिमों के अत्याचार से जुड़ी एक रिपोर्ट हाल ही में जारी की है। इसमें कहा गया है कि यहां दर्जनों हिंदू लोगों की आंखों पर पट्टी बांधकर नकाबपोश रोहिंग्या शहर से बाहर ले गए। 18 साल की राजकुमारी ने एमनेस्टी को बताया, "उन्होंने आदमियों की हत्या कर दी और हमसे कहा कि हम उस ओर न देखें। उन लोगों के पास चाकू थे और लोहे की रॉडें भी।" राजकुमारी ने बताया कि उसने झाड़ियों में छिपकर अपने पिता, भाई और चाचा की हत्या होते हुए देखी थी।  

एमनेस्टी की रिपोर्ट में बीना बाला नाम की एक लड़की का जिक्र है। बीना ने बताया है कि म्यांमार के अरसा इलाके से 8 हिंदू लड़कियों को आतंकवादी उठाकर अपने साथ बांग्लादेश ले गए थे। इन्हीं में से वो जैसे-तैसे बचकर भाग निकली।
 उसने एमनेस्टी को बताया, 'मैं सुबह पूजा कर रही थी, इसी दौरान काले कपड़े पहने कुछ लोग हमारे घर में घुस आए, उनके हाथ में चाकू और हथियार भी थे। वो हमारे ही गांव के थे, आते ही उन्होंने हमारे मोबाइल उठा लिए और हमें आंगन में खड़े होने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने हमारी आंखों पर पट्टी बांध दी और हाथ पीछे बांध दिए। जब मैंने उनसे पूछा की तुम क्या कर रहे हो, तो उन्होंने जवाब दिया, तुम हिंदू और बौद्ध काफिर हो, तुम यहां नहीं रह सकते। इसके बाद उन्होंने हमारे साथ जमकर मारपीट की और हमारे जेवरात और पैसे ले लिए।' 

एमनेस्टी की ही दूसरी रिपोर्ट में बताया गया कि रोहिंग्या मुस्लिम आतंकवादियों ने अगस्त 2017 में म्यांमार के रखाइन प्रांत में 99 हिंदू औरतों, बच्चों और आदमियों को बेदर्दी के साथ मार दिया था।  

 रोहिंग्या आतंकवादियों के चंगुल से बचकर भाग निकली रिका धर का कहना है कि हमें भागने का मौका नहीं मिल सका। रोहिंग्या लोगों ने हमारी आंखों पर पट्टी बांध दी थी, और हाथ पीछे बांध दिए थे। मरने वाले कई बच्चों की उम्र तो 14 साल से कम थी।

बंधक बनाए गए 16 लोगों को केवल इसी शर्त पर छोड़ा गया कि वे हिंदू धर्म छोड़कर इस्लाम कुबूल कर लेंगे। महिलाओं के सामने ये भी शर्त रखी गई कि वे उन्हें चुनने वाले रोहिंग्या मुस्लिम से शादी करेंगी।

 पुरूषों को मारने के बाद उन्होंने बुजुर्ग महिलाओं को भी मार डाला। रोहिंग्या आतंकियों ने कई महिलाओं के बाल पकड़कर चाकू से उनकी गर्दन भी काट दी।

म्यांमार की सरकार ने दुनियाभर के पत्रकारों को बुलाकर हिंदू समुदाय के मृतकों की कब्रें भी दिखाई हैं। जो कि रोहिंग्या आतंकियों के जुल्म की दास्तान सुनाते हैं।

इन रोहिंग्या आतंकियों पर जब म्यांमार की सेना ने कार्रवाई शुरु की, तो दुनियाभर से इस्लामिक देशों और उनके समर्थकों ने रोहिंग्याओं के पक्ष में माहौल बनाना शुरु कर दिया। भारत में भी तथाकथित सेक्यूलर नेता रोहिंग्याओं के जुल्मों को छिपाकर इनको शरण देने में जुटे हुए हैं। हालांकि केन्द्र सरकार सुप्रीम कोर्ट में दिए गए हलफनामें में रोहिंग्या लोगों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा करार दे चुकी है। 

यह रोहिंग्या लोग आदतन अपराधी हैं और म्यांमार से भगाए जाने के बावजूद भी इनका हौसला कम नहीं हुआ है। भारत में शरण पाए रोहिंग्या मुसलमानों के अपराध में लिप्त होने की भी कई घटनाएं सामने आ रही हैं। 

जम्मू में लगभग 30हजार रोहिंग्या मुसलमान शरण लिए हुए हैं। इनकी बस्ती में जब छापे मारे गए, तो 29 लाख रुपए बरामद हुए। खुफिया विभाग को संदेह है कि बंगलादेशी आतंकी नेटवर्क भी जम्मू कश्मीर में आतंकवाद को फंडिंग कर रहा है जिसके लिये वो रोहिंग्या की मदद ले रहा है।

बरामद की गई रकम भी आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए लाई गई थी।इस पैसे के साथ शाकर कमाल नाम के एक रोहिंग्या को गिरफ्तार किया गया था।     
जम्मू के ही चौक चबूतरा इलाके में एक रोहिंग्या मोहम्मद सईद को स्कूटर चोरी के इल्जाम में गिरफ्तार किया गया। 

कई रोहिंग्याओं को नशीले पदार्थों की तस्करी के इल्जाम में भी गिरफ्तार किया जा चुका है।