पटना।  बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए में सहयोगी दलों के बीच मनमुटाव शुरू हो गए हैं। एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता पर सवाल उठाए हैं। जबकि भाजपा ने साफ कर दिया है कि राज्य में राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल यूनाइटेड के अध्यक्ष नीतीश कुमार की अगुवाई में ही चुनाव लड़ जाएंगे। जबकि लोजपा के नेता नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ने की मंशा जता चुके हैं। लिहाजा माना जा रहा है कि इस बारे में अंतिम फैसला पाटी अध्यक्ष चिराग पासवान करेंगे।

राज्य में एनडीए की सहयोगी राज्य के सत्ताधारी जनता दल यूनाइटेड के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं और राज्य पार्टी अध्यक्ष चिराग पासवान राज्य के सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ बयान दे रही है। जिसको लेकर नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व नाराज चल रहा है। वहीं लोजपा के बिहार संसदीय दल के नेताओं का कहना है कि राज्य में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। इन नेताओं का कहना है कि लॉकडाउन और बाढ़ के खराब हालात के बाद नीतीश कुमार की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है।

जिसका असर चुनाव में पड़ सकता है। लिहाजा पार्टी को गठबंधन के बगैर राज्य में चुनाव लड़ना चाहिए। वहीं पार्टी के नेताओं का कहना है कि राज्य में पार्टी को 143 सीट पर अपने उम्मीदवार जल्द से जल्द घोषित करने चाहिए।  असल में राज्य में सियासत बदल रही है। क्योंकि हिंदुस्तान अवामी मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी के एनडीए में शामिल हो गए हैं। जिसके बाद लोजपा और जदयूके बीच तल्खी बढ गई है।

लोजपा को लगता है कि मांझी के एनडीए में शामिल होने के बाद उसे कम सीटें मिल सकती हैं। हालांकि जनता दल यूनाइटेड का कहना है कि लोजपा को भाजपा अपने कोटे से सीट दें जबकि मांझी को सीट जनता दल यूनाइटेड अपनी तरफ से देगा। लोजपा का कहना है कि वह राज्य की उन 143 सीट पर लड़ेगी, जिन सीटों पर भाजपा चुनाव नहीं लड़ेगी। यानी मतलब साफ है कि लोजपा जदयू के खिलाफ चुनाव लड़ेगी।  वहीं लोजपा में एक धड़ा एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ने के खिलाफ है। इस धड़े का मानना है कि एनडीए के खिलाफ जाकर पार्टी को नुकसान होगा।