नई दिल्ली। पिछले तीन दिनों से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा मीडिया का केन्द्र बनी हुई हैं। हालांकि यूपी सरकार को गलत नंबर और फर्जी पंजीकरण के बसों की सूची को लेकर प्रियंका गांधी की किरकिरी हो रही है। अब तो कांग्रेस की विधायक अदिति सिंह ने ही प्रियंका को इस मुद्दे पर घेर लिया है। जबकि अदिति सिंह कभी प्रियंका की करीबी मानी जाती थी। लेकिन अब सवाल ये उठ रहा है कि किया बस सियासत के जरिए प्रियंका यूपी में कांग्रेस की खोई हुई जमीन हासिल कर पाएंगी।

हालांकि राजनीति के जानकारों का कहना है कि प्रियंका को बस विवाद के जरिए फायदा मिल सकता है। क्योंकि प्रियंका ने यूपी सरकार को बस मुहैया कराने का वादा किया था और उसे पूरा किया।  हालांकि इस मुद्दे पर विवाद हो सकता है। लेकिन प्रियंका को बस विवाद के जरिए मीडिया माइलेज मिला है और कांग्रेस का कार्यकर्ता जो मुद्दों की तलाश में था इस मुद्दे के जरिए उसमें उत्साह आया है। हालांकि यूपी में कांग्रेस  के पास कार्यकर्ताओं की तुलना में नेता ज्यादा हैं। वहीं प्रियंका ने यूपी में कमजोर विपक्ष की आवाज को फिर उठाया है।

कोरोना लॉकडाउन में समाजवादी पार्टी सरकार पर निशाना साध रही है। लेकिन सपा अध्यक्ष को योगी सरकार के खिलाफ कोई बड़ा मुद्दा नहीं मिला है और वह छोटे छोटे मुद्दों से सरकार को घेर रहे हैं। कभी अपनी पार्टी के नेता आजम खान के जरिए तो कमी सरकार के फैसलों में कमी निकालकर वह सरकार को घेरते हैं। जबकि  बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती सधे हुए बयान देती हैं। हालांकि वह निशाना तो सरकार पर साधती हैं लेकिन आक्रामक अंदाज में नहीं।

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रियंका गांधी ने जिस प्रवासी मजदूरों का मामला उठाया है उससे उन्होंने गरीब और प्रवासियों के दिलों में जगह बनाई है। क्योंकि प्रियंका ने योगी सरकार को 1 हजार बस मुहैया करा दी थी। लेकिन सरकार ने अपनी जिद के कारण बसों को नहीं लिया। जबकि इस मौके पर सपा और बसपा पूरी तरह सीन से गायब हैं। वहीं प्रियंका गांधी लॉकडाउान के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के मुकाबले ज्यादा सक्रिय हैं। कांग्रेस का कहना है कि प्रियंका यूपी में पहले से ही सक्रिय हैं।