राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत क्या 2019 का लोकसभा चुनाव लडेगें. राजस्थान के राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा इन दिनो इसलिए जोरशोर से है, क्योंकि एक तरफ पार्टी आलाकमान ने मौजूदा सभी विधायकों को लोकसभा टिकट नहीं दिए जाने का मन बनाया है,
जयपुर से देवेन्द्र सिंह की रिपोर्ट
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत क्या 2019 का लोकसभा चुनाव लडेगें. राजस्थान के राजनैतिक गलियारों में यह चर्चा इन दिनो इसलिए जोरशोर से है, क्योंकि एक तरफ पार्टी आलाकमान ने मौजूदा सभी विधायकों को लोकसभा टिकट नहीं दिए जाने का मन बनाया है, तो दूसरी तरफ जीतने वाले प्रत्याशियों की तलाश कांग्रेस में जोरशोर से है. वैभव राज्य में सचिव पायलट की टीम में हैं और प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव हैं.
पार्टी ने लोकसभा प्रत्याशियों के चयन के लिए सभी जिलाध्यक्षों को आज जिले की कार्यकारिणी की मीटिंग में सम्भावित प्रत्य़ाशियों के नाम तय करने का लक्ष्य दिया है. ऐसे में टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट पर वैभव गहलोत को प्रत्याशी बनाए जाने की मांग स्थानीय स्तर पर जोर शोर से उठाई जा रही है. मुख्यमंत्री के बेटे होने के नाते लोगों को उम्मीद है कि उनके सांसद बन जाने से जिले का विकास तेजी से होगा. हाल ही में हुए विधानसभा सभा चुनाव में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट टोंक सीट से विजयी हुए थे. इसके साथ ही टोंक और सवाईमाधोपुर जिलों में कांग्रेस को 8 में से 7 सीटें मिली हैं. टोंक की चार विधानसभा सीटों में कांग्रेस को तीन जबकि सवाईमाधोपुर की 4 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा हुआ है.
जातिगत समीकरण भी गहलोत के पक्ष में
दोनों जिलों को मिलाकर टोंक-सवाईमाधोपुर लोकसभा सीट में मीणा,गुर्जर, माली मतदाताओं के साथ साथ राजपूत और मुस्लिम भारी संख्या में हैं. कांग्रेस के बड़े नेताओं का मानना है कि वर्तमान विधानसभा चुनाव में इन जातियों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया है और लोकसभा में भी इस सीट पर यह प्रयोग दोहराया जा सकता है. इसके साथ साथ वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट की टीम में वैभव गहलोत प्रदेश सचिव है और उनके जिम्मे विधानसभा चुनाव में भी माली वोटबैंक को कांग्रेस को एकजूट करने में महत्वपुर्ण भुमिका निभाई थी. इसके अलावा टोंक सवाईमाधोपुर में अक्सर वैभव गहलोत को कई सामाजिक कार्यक्रमों में शिकरत करते देखा जाता है. स्थानीय स्तर पर उनकी कार्यकर्ताओं पर पकड़ मानी जाती है. अब जब सचिन पायलट राज्य में उपमुख्यमंत्री बन गए हैं. ऐसे में वैभव गहलोत की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.
गहलोत दो बार मना कर चुके है.
वैभव गहलोत को विधानसभा सभा चुनावों के दौरान विधायकी के लिए चुनाव लडाए जाने की चर्चा जोरशोर से उड़ी थी. उस दौरान गहलोत ने चुनाव लड़ने से माना किया था.
लोकसभा चुनाव की 25 सीटें 2019 के लिए कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती
पिछले लोकसभा चुनाव में राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा था. ऐसे में 2019 का लोकसभा चुनाव राज्य के नेताओं के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है.
Last Updated Jan 13, 2019, 2:42 PM IST