स्वतंत्र देव सिंह को भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश का नया पार्टी अध्यक्ष नियुक्त किया है। सिंह को संगठन में कार्य करने का लंबा अनुभव है। लेकिन नए अध्यक्ष की कमान मिलते ही उनके सामने राज्य में होने वाले 12 उपचुनाव सबसे बड़ी चुनौती हैं। क्योंकि इन 12 में से 10 सीटों पर पूर्व में भाजपा के ही विधायक थे। बाकी दो सीटें सपा और बसपा के खाते में थी। लिहाजा उपचुनाव में पार्टी का परचम फहराना उनके लिए असर परीक्षा है।

राज्य ही नहीं देशभर में भाजपा का सदस्यता अभियान चल रहा है। हालांकि पार्टी ने यूपी में 35 लाख नये सदस्यों को बनाने की योजना-रचना तय की है, लेकिन यह संख्या 50 लाख से पार करने के लिए शीर्ष नेतृत्व मंशा जता चुका है। अगर ये लक्ष्य भाजपा हासिल करती है तो सिंह के लिए ये बड़ी उपलब्धि होगी।

इसके साथ ही सदस्यता सिर्फ कागजी न रहे,मोबाइल फोन पर मिस्ड काल देकर सदस्यता लेने वालों का ब्योरा जुटाना भी किसी चुनौती से कम न होगा। पिछले दिनों महीनों के दौरान महेन्द्र नाथ पांडे के कैबिनेट मंत्री बन जाने के बाद संगठन में कार्य नहीं हो पा रहे थे। लिहाजा फिर से संगठन में नए लक्ष्यों को साधकर और अपनी टीम बनाकर नए लक्ष्यों को जीतना सिंह के लिए चुनौती है।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने कद्दावर नेता स्वतंत्र देव सिंह को यूपी में संगठन की कमान उस वक्त दी है जब केन्द्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक में भाजपा की सरकारें हैं। यूपी की जिन 12 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, उन सभी पर जीत का परचम फहराना सबसे बड़ी चुनौती होगी।

पिछले तीन प्रदेश अध्यक्षों डा. लक्ष्मी कांत बाजपेयी, केशव प्रसाद मौर्य और डा. महेन्द्र नाथ पाण्डेय के कार्यकाल में पार्टी को यूपी में बम्पर कामयाबी मिली है, ऐसे में श्री सिंह के सामने कार्यकर्ताओं को एकजुट रखकर जीत के उस ट्रैक रिकार्ड को बरकरार रखने के साथ ही और बड़ी लाइन खीचने की होगी।