नई दिल्ली। संसद का शीतकालीन सत्र आज से शुरू हो रहा है। शनिवार को ही केन्द्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक का आयोजन कर सत्र में अहम मुद्दों के लिए विपक्ष से सहयोग मांगा था। लेकिन माना जा रहा है कि सत्र काफी हंगामेंदार रहेगा। क्योंकि विपक्ष सरकार को बेरोजगारी और आर्थिक सुस्ती के मुद्दे पर घेरेगा। अब तक भाजपा का सहयोगी शिवसेना भी अब सदन में विपक्ष के साथ दिखेगा। जिसके कारण सरकार की मुश्किलें और ज्यादा बढ़ेगी।

आज से शुरू हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र में विभिन्न मुद्दों पर सियासी तपिश दिखनी तय है। क्योंकि विपक्ष सरकार पर आर्थिक मुद्दों पर तीखा हो रहा है। विपक्ष का कहना है कि केन्द्र सरकार के नीतियों के कारण देश का आर्थिक विकास प्रभावित हो रहा है। देश में बेरोजगारी बढ़ रही है और सरकार दुनिया भर में अपने कार्यों  को प्रचारित कर रही है। लिहाजा वह संसद में विरोध जता रहे हैं। यही नहीं अब संसद में सरकार को नागरिकता संशोधन बिल के लिए विपक्ष के तीखे हमलों को झेलना होगा।

वहीं  आर्थिक सुस्ती, महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दे पहले ही सरकार के सामने खड़े हैं। जिसको लेकर विपक्ष सरकार पर आक्रामक है। लेकिन सरकार सरकार के पास इसका जवाब नहीं है। वहीं कांग्रेस सरकार पर राफेल का दबाव कम नहीं करना चाहती है। केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट मिलने के बाद कांग्रेस इसके लिए जेपीसी बनाने की मांग कर रही है। लिहाजा कांग्रेस राज्यसभा और लोकसभा में इसकी मांग कर सकती है। वहीं सभी विपक्ष दल भी सरकार पर जेपीसी को लेकर दबाव बना सकते हैं। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर में नेताओं की नजरबंदी को लेकर भी विपक्ष सरकार से स्पष्टीकरण चाहेगा।

क्योंकि एनसी के नेता और पीडीपी के नेता अभी तक हाउस अरेस्ट ही हैं। विपक्ष की योजना सरकार को महंगाई, जम्मू कश्मीर की स्थिति, किसानों की दुरूह स्थिति जैसे मुद्दों पर घेरने की है। फिलहाल अब सबकी नजर नागरिकता संशोधन बिल पर है, जिसे मोदी सरकार राज्यसभा में संख्याबल के अभाव में पारित नहीं करा पाई थी। इस बिल के तहत  पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से निर्वासित-प्रताड़ित हिंदुओं, बौद्धों, सिखों और ईसाईयों को सहज नागरिकता दिये जाने का प्रावधान है।