लखनऊ। चीन में करीब एक हजार से कंपनियां अन्य देशों में अपने कारोबार को स्थापित करना चाहती हैं। लिहाजा इन निवेशकों को लुभाने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला किया है। सरकार ने राज्य में 3 साल के  प्रमुख श्रम कानूनों को निलंबित कर दिया है।ताकि ये कंपनियां यूपी में निवेश कर सकें।

लॉकडाउन के कारण मंदी के दौर चल रहा है और सरकार अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए और अधिक-अधिक निवेश प्रदेश में लाना चाहती है। लिहाजा सरकार ने श्रम कानूनों को सरल बनाया है। ताकि विदेशी कंपनियां आसानी से देश और राज्य में निवेश कर सके। लिहाजा योगी आदित्यनाथ सरकार ने अगले तीन सालों के लिए राज्य में अधिकांश श्रम कानूनों को निलंबित करने के अध्यादेश को मंजूरी दी। असल में चीन से जाने वाली कंपनियां भारत में मौजूदा श्रम कानूनों को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।

क्योंकि भारत में मजदूर यूनियन बनाकर हड़ताल करते हैं और इन श्रम कानूनों के कारण कंपनियों को कानून कार्यवाही का भी सामना करना पड़ता है। लिहाजा राज्य  सरकार ने पहले ही  इन श्रम कानूनों को आसान बना दिया है। इस अध्यादेश को राज्य मंत्रिमंडल में रखा गया था जहां से इसे मंजूरी मिलने के बाद अध्यादेश जारी किया गया है।  राज्य सरकार ने श्रम कानूनों की सिफारिशों को लेकर राज्य के मंत्रियों की एक कमेटी बनाई थी। जिसमें श्रम मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य और एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह को शामिल किया गया  था।

अब नए अध्यादेश के मुताबिक राज्य में अब श्रम कानूनों के 30 से अधिक नियम स्थगित हो गए हैं। राज्य सरकार ने इन नियमों में बदलाव चीन नए निवेश को आकर्षित करने के लिए किए हैं। राज्य आर्थिक नुकसान के दौर से गुजर रहाहै और राज्य के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के अनुसार अप्रैल 2020 की कुल कर मांग 12141 करोड़ रुपये के मुकाबले 1178 का ही राजस्व सरकार को मिला है।