ट्यूबरक्लोसिस यानी टीबी एक घातक बीमारी है और इस बीमारी के कारण देश में ज्यादातर महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं। यही नहीं टीबी के कारण पूरे विश्व में हर मिनट में एक मौत हो रही है और रोजाना करीब सात हजार लोग इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं।

एक रिसर्च के मुताबिक इस जानलेवा बीमारी के कारण करीब 60 फीसदी महिलाएं मां नहीं बन पा रही हैं यानी ये और महिलाएं बांझपन की शिकार हो रही हैं, क्योंकि फैलोपियन ट्यूब में टीबी हो जाती है। यहीं कारण हैं तमाम कोशिशों के बावजूद महिलाओं में गर्भ नहीं ठहर पा रहा है। वहीं ओवरी में भी टीबी होने के कारण करीब 30 फीसदी महिलाओं को मां बनने का सुख नहीं मिल पा रहा है। इस घातक बीमारी की चपेट में आने के कारण बीमारी के साथ ही पारिवारिक जीवन भी प्रभावित हो रहा है।

रिसर्च के मुताबिक तनाव भरी जीवनशैली के कारण भी टीबी की बीमारी महिलाओं में पनप रही हैं। जानकारी के मुताबिक टीबी की बीमारी को इलाज और जागरूरता के साथ खत्म किया जा सकता है। चिकित्सकों का कहना है आधुनिक जीवनशैली और इसमें शराब, बीड़ी, सिगरेट, तम्बाकू और नशीले पदार्थ का सेवन करने से टीबी जैसी घातक बीमारी का बैक्टीरिया जाग सकता है। यही नहीं शराब पीने वाले लोगों में टीबी होने का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा बढ़ जाता है। चिकित्सकों के मुताबिक शराब पीने वाले लोगों में लिवर सिरोसिस समेत पेट की अन्य बीमारियों के साथ ही टीबी के अधिक होने की संभावना होती है।

चौंकाने वाले तथ्य ये हैं कि देश में 90 प्रतिशत लोगों में टीबी का बैक्टीरिया होता है, लेकिन ये एक्टिव नहीं रहता है। लेकिन जैसे ही इस वातावरण मिलता है तो ये पनपने लगता। वहीं जो लोग शराब व धूम्रपान करते हैं उनमें रोगों से लड़ने की ताकत कम हो जाती है और ये बैक्टीरिया ताकतवर हो जाता है। इसके बाद इंसान टीबी की चपेट में आ जाता है। जानकारी के मुताबिक टीबी सिर्फ फेफड़े तक सीमित नहीं बल्कि रीढ़ की हड्डी और ब्रेन टीबी तक हो सकती है।