अमेरिका में एक बार फिर दुनिया भर के हिंदू नेताओं का जमावड़ा होगा। 1893 में विश्व धर्म संसद के दौरान स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक भाषण की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर सितंबर, 2018 में अमेरिका में दूसरी विश्व हिंदू कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है। 

तीन दिन का यह कार्यक्रम 7 से 9 सितंबर के बीच होगा। विश्व हिंदू फाउंडेशन (वीएचएफ) इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। वीएचएफ के अध्यक्ष विश्व हिंदू परिषद से आने वाले आईआईटी खड़गपुर से स्नातक स्वामी विज्ञानंद हैं। यह चार साल में एक बार आयोजित होने वाला कार्यक्रम है। 2014 में इसे नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।

दुनिया भर से 2000 प्रतिभागियों एवं 250 विचारकों के इस आयोजन में शामिल होने की संभावना है। विश्व हिंदू कांग्रेस को संबोधित करने वालों में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत, तिब्बती धर्मगुरू दलाईलामा, ऑर्ट ऑफ लिविंग के प्रमुख श्रीश्री रविशंकर और चिनमया मिशन के प्रमुख स्वामी स्वरूपानंद शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और हॉलीवुड स्टार रिचर्ड गेरे भी कार्यक्रम में शामिल होंगे।  

यह कार्यक्रम इलिनोइस के लोमबार्ड में होटल वेस्टिन में होगा। विश्व हिंदू कांग्रेस हिंदू सिद्धांत 'सुमंत्रिते सुविक्रांते' यानी 'सामूहिक तौर पर सोचें और बहादुरी से हासिल करें' से प्रेरित है। आयोजकों के अनुसार, विश्व हिंदू कांग्रेस के साथ-साथ चलने वाले सात समानांतर सम्मेलनों में मूल्यों, रचनात्मकता और वैश्विक हिंदू समुदाय की उद्यमशीलता की भावना का प्रदर्शन होगा। इससे आर्थिक, शैक्षणिक, मीडिया, संगठन एवं राजनीति समेत विभिन्न क्षेत्रों से विचार सामने आएंगे। साथ ही हिंदू महिलाओं एवं युवाओं के योगदान एवं अद्वितीय नेतृत्व की झलक भी मिलेगी। 

विश्व हिंदू कांग्रेस 2014 की ही तरह इस बार भी सात अन्य सम्मेलन साथ-साथ होंगे। इसमें विश्व हिंदू आर्थिक मंच, हिंदू शैक्षणिक सम्मेलन, हिंदू मीडिया सम्मेलन, हिंदू संगठनात्मक सम्मेलन, हिंदू राजनीतिक सम्मेलन, हिंदू महिला सम्मेलन और हिंदू युवा सम्मेलन शामिल हैं। 

विश्व हिंदू कांग्रेस की वेबसाइट के अनुसार, 'डब्ल्यूएचसी हिंदुओं के एक दूसरे से जुड़ने, विचारों के आदान-प्रदान, एक दूसरे से प्रेरित होने और  सामूहिक भलाई की बात करने वाला मंच है। यह हिंदुओं को सुधार के लिए आत्ममंथन का अवसर उपलब्ध कराता है। ताकि मौजूदा समय के सबसे ज्वलंत मुद्दों का सामूहिक संसाधनों का इस्तेमाल करते हुए उचित हल निकाला जा सके।'