तीन तलाक बिल पर लोकसभा में चर्चा चल रही है। इस बीच योगी आदित्यनाथ सरकार में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने कहा है कि इस बिल को पास कराकर कांग्रेस को शाहबानो मामले में हुई गलती का प्रायश्चित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि तीन तलाक का बिल सदन से पास होगा और मुझे उम्मीद है कि कांग्रेस 1986 की गलती नहीं दोहराएगी। रजा ने कहा, शाहबानो के समय कांग्रेस ने एक गैर पंजीकृत एनजीओ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के दबाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संसद से पलट दिया था, जिसके कारण करीब 10 करोड़ महिलाओं को तीन तलाक का दंश झेलना पड़ा। 

मोहसिन रजा ने कहा कि यह बिल किसी धर्म के खिलाफ नहीं है। यह मुस्लिम महिलाओं के सम्मान से जुड़ा विधेयक है। तीन तलाक शरीयत का हिस्सा नहीं है। इसे ऑल इंडिया मुस्लिम लॉ बोर्ड धार्मिक मामले की तरफ ले जाना चाहता है, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने एक सराहनीय कदम उठाया है। 

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए मोहसिन रजा ने कहा कि अगर आज मुसलमान पंचर बना रहा है, परचून की दुकान पर काम कर रहा है तो यह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की देन है। यह एक गैर पंजीकृत संस्था है। यह सभी राजनीतिक दलों पर दबाव बनाना चाहती है। विपक्ष को मुसलमानों का वोट चाहिए इसलिए वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बात सुनते हैं। 

उन्होंने कहा, अब समय आ गया है कि सभी मुस्लिम महिलाओं के सम्मान के साथ आकर इसका समर्थन करें। इस साल सितम्बर में विपक्ष के कुछ संशोधनों को स्वीकार कर एक अध्यादेश लेकर आई थी, जो अभी अस्तित्व में है जबकि पुराना विधेयक अब भी राज्यसभा में लंबित है। केंद्र सरकार ने अध्यादेश के प्रारूप पर ही नया विधेयक लोकसभा में इसी सत्र में पेश किया है।

नए विधेयक में तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) के मामले को गैर जमानती अपराध तो माना गया है। लेकिन जो संशोधन इसमें किया गया है उसके मुताबिक अब मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार होगा। संशोधित विधेयक में किए गए बदलाव के अनुसार मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है। पीड़िता, उससे खून का रिश्ता रखने वाले और विवाह से बने उसके संबंधी ही पुलिस में प्राथमिकी दर्ज करा सकते हैं।

एक बार में तीन तलाक की पीड़ित महिला मुआवजे की भी हकदार होगी। लेकिन दिलचस्प ये है कि तीन विधेयक में संसद में रखने के बाद भी 1 जनवरी 2018 से तीन तलाक के करीब 430 मामले आए हैं और इसमें ज्यादा 120 मामले उत्तर प्रदेश के हैं।