लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बैकफुट पर है। जबकि पूरा विपक्ष सरकार के खिलाफ आक्रामक है। यही नहीं राज्य और केन्द्र में भाजपा की सहयोगी अपना दल भी सरकार को कठघरे में खड़ा रही है। कई अरसे से शांत विपक्ष को बड़ा मुद्दा मिल गया है। जिसे वह छोड़ना नहीं चाहती है। कांग्रेस से लेकर सपा सभी सरकार पर आक्रामक हैं।

प्रदेश में कानून व्यवस्था एक बड़ा मुद्दा है। चाहे किसी भी दल सरकार रही है। वह हमेशा से ही कानून व्यवस्था के मामले में फिसड्डी साबित हुई है। हालांकि प्रदेश की योगी सरकार के अब तक कार्यकाल में अपराध कम हुए हैं। लेकिन कुछ बड़े अपराधों के कारण राज्य सरकार की किरकिरी हो रही है। उन्नाव में गैंगरेप पीडिता के साथ मारपीट करने और उसे जलाने की घटना को लेकर विपक्षी दलों आक्रामक हैं तो सामाजिक संगठन और जनता में उबाल है।

असल में जनता का सवाल है कि आखिर ऐसी स्थिति आई क्यों। क्योंकि रेप की घटना के कई दिनों के बाद एफआईआर लिखी गई और इसके बाद भी पीड़िता को समुचित सुरक्षा नहीं दी गई। वहीं आरोपी जेल से छूटने के बाद लगातार धमकी दे रहा था। लिहाजा इस मामले में पुलिस की लापरवाही उजागर हुई है। इससे पहले उन्नाव में विधायक कुलदीप सेंगर के कारण राज्य सरकार को मुसीबतों का सामना करना पड़ा और इससे राज्य सरकार ने कोई सबक नहीं लिया।

वहीं विपक्ष दल खासतौर से समाजवादी पार्टी ज्यादा आक्रामक हो रही है। उसे एक बड़ा मुद्दा मिल गया है। उपचुनाव में मिली सफलता के सपा गदगद है और उसके कार्यकर्ताओं में पार्टी नेतृत्व जोशभर रहा है। लिहाजा अब तक खामोश बैठे अखिलेश यादव भी पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ सड़क पर उतरे हैं। ऐसा पहली बार नहीं है। जब अखिलेश कार्यकर्ताओं से साथ सड़कों पर हों। हालांकि राज्य के विधानसभा चुनाव में अभी करीब दो साल का समय हो। लेकिन अगर कानून व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ और विपक्ष यू हीं आक्रामक रहा तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती है। हालांकि राज्य सरकार ने इस मामले की सुनवाई फास्टट्रैक कोर्ट में करने का फैसला किया है। लेकिन बैठे बैठाए सरकार ने विपक्ष के हाथ में एक बड़ा मुद्दा दे दिया है।