केन्द्र सरकार ने दिन पहले ही केन्द्र सरकार के मंत्रियों और सांसदों के वेतन में तीस फीसदी की कटौती की थी। यही नहीं केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों के वेतन में भी कटौती की थी। ताकि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए विशेष कोष तैयार किया जा सके। इस कोष की राशि से कोरोना वायरस से लड़नेके लिए जरूरी उपकरण खरीदे जा सके।
लखनऊ। केन्द्र सरकार द्वारा मंत्रियों और सांसदों के वेतन में की गई कटौती के बाद उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने भी मंत्रियों व विधायकों के वेतन में 30 फीसदी कटौती करने का फैसला किया है। इसके साथ ही योगी सरकार ने अगले एक साल तक विधायक निधि को खत्म करने का फैसला किया है। हालांकि इससे पहले राज्य के सीएम कई बड़े ऐलान कर चुके हैं।
केन्द्र सरकार ने दिन पहले ही केन्द्र सरकार के मंत्रियों और सांसदों के वेतन में तीस फीसदी की कटौती की थी। यही नहीं केन्द्र सरकार ने राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और राज्यपालों के वेतन में भी कटौती की थी। ताकि कोरोना वायरस से लड़ने के लिए विशेष कोष तैयार किया जा सके। इस कोष की राशि से कोरोना वायरस से लड़नेके लिए जरूरी उपकरण खरीदे जा सके। वहीं मंगलवार को ही हिमाचल प्रदेश सरकार ने भी मंत्रियों और विधायकों के वेतन में भी कटौती करने का ऐलान किया था।वहीं अब उत्तर प्रदेश में भी राज्य सरकार ने मंत्रियों और विधायकों के वेतन में कटौती की है।
राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक विधायक निधि का इस्तेमाल कोरोना वायरस के संक्रमण से लड़ने में किया जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने बुधवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक बुलाई थी और इसमें कई प्रस्तावों को पारित किया गया। राज्य सरकार ने विधायक निधि को एक साल के लिए खत्म कर दिया गया है। वहीं राज्य सरकार के मंत्रियों के वेतन में 30 फीसदी की कटौती कर दी गई है। इसके साथ ही विधायकों के वेतन में भी कटौती की गई है।
राज्य सरकार के फैसले के मुताबिक वेतन में तीस फीस दी की कटौती की गई है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने आपदा निधि 1951 के नियमों में बदलाव किया है और इसकी तहत राज्य सरकार ने आपदा निधि को बढ़ाकर 600 से 1200 करोड़ रुपये कर दी गई है।
Last Updated Apr 8, 2020, 8:31 PM IST