ग्रेटर नोएडा के विधायक के ध्यान दिलाने के बाद यहां के प्राधिकरण में भर्ती में हुए घोटाले का पता चला है। जिसके तार उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती से जाकर जुड़ रहे हैं। योगी सरकार ने इस भर्ती घोटाले की जांच के आदेश दे दिए हैं।
ग्रेटर नोएडा: विधायक धीरेंद्र सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में शिकायत दाखिल की है। जिसमें उन्होंने ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भर्ती घोटाले का आरोप लगाया है। उनकी आवेदन के बाद शिकायत के आधार पर योगी सरकार इस मामले की जांच करके कार्रवाई करने का आदेश दिया है।
इस कथित घोटाले को उजागर करने वाले ग्रेटर नोएडा के विधायक धीरेन्द्र सिंह का आरोप था कि मायावती के शासनकाल के दौरान ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में मैनेजरों तथा दूसरे पदों पर भर्तियों के दौरान योग्यता को नजरअंदाज किया गया है। तत्कालीन नेताओं के इशारे पर यूपी के अधिकारियों ने टेलिफोन पर आई सिफारिशों के आधार पर रिक्तियों की भर्ती की।
विधायक का यह भी आरोप है कि चयनित उम्मीदवारों के पास साक्षात्कार के समक्ष अनिवार्य एमबीए की डिग्री नहीं थी। वहीं चपरासी जैसे छोटे पदों पर भी योग्यता घटा दी गई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस भर्ती घोटाले में उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं।
आरोप है कि मैनेजर पद पर चयनित उम्मीदवारों के पास साक्षात्कार के समक्ष अनिवार्य एमबीए की डिग्री नहीं थी। उन्हें मैनेजर के रूप में नियुक्त होने के बाद एमबीए कोर्स प्रारंभ करने और और साल के अंत में डिग्री प्राप्त करने का सुझाव दिया गया। जो कि नियमों के विरुद्ध है। बताया जा रहा है कि इस मामले में वरिष्ठ आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की संलिप्तता है।
इस बारे में ग्रेटर नोएडा के विधायक धीरेंद्र सिंह द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दाखिल की गई थी। जिसके आधार पर योगी सरकार ने कथित तौर पर कार्रवाई की है।
इस कथित घोटाले को उजागर करने वाले धीरेंद्र सिंह का कहना है कि कि 'मैनेजर से लेकर चपरासी तक के पदों पर उम्मीदवारों का चयन करते हुए नियमों को ताक पर रख दिया गया और पात्रता मानदंडों को दर किनार कर दिया गया। नेताओं के फोन पर भर्तियां की गईं। आश्चर्य की बात है कि घोटाला 2002 से शुरू हुआ, लेकिन सपा और बसपा सरकारें जांच के नाम पर खानापूर्ति करती रही। आखिरकार मैंने मुख्यमंत्री योगी को भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लिखा, जो घोटाले में शामिल थे।'
आरोप है कि चपरासी और क्लर्क लेबल की नौकरियों में योग्यता स्तर को कम किया गया। 12वीं की बजाय 10वीं व 8वीं उत्तीर्ण उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियां उपहार के तौर पर दी गईं।
बताया जा रहा है कि ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में नियमों के विरुद्ध जाकर 58 भर्तियां की गई हैं। अब एक दशक बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अब घोटाले पर कार्रवाई की जाने की घोषणा की है।
Last Updated Aug 21, 2019, 3:16 PM IST