नई दिल्ली। विवादास्पद भारतीय इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक फिलहाल मलेशिया की सरकार से मांफी मांगकर बचने की कोशिश में है। लेकिन उसके भाषणों और समारोह पर रोक लगी रहेगी। मलेशिया सरकार फिलहाल जाकिर नाइक को किसी भी तरह की रियायत देने के पक्ष में नहीं है। उसके खिलाफ जांच चलती रहेगी और अगर वह दोषी पाया जाता है तो उसकी नागरिकता खत्म कर दी जाएगी।

जाकिर नाइक की हिंदूओं पर नस्ली टिप्पणी के बाद उसके खिलाफ कार्यवाही तेज करने की मांग हो गई है। हालांकि उसने मलेशिया सरकार से अपने विवादित बयान के लिए माफी मांगी है। मलेशिया के सात राज्यों ने नाइक पर प्रतिबंध लगा दिया है। जिसके बाद उसकी मुश्किलें बढ़ी हुई हैं। लिहाजा उसने मांगी मांग कर इस विवाद को खत्म करने की कोशिश की है।

जाकिर नाइक को मलेशिया से निष्कासित करने की मांग तेज होने लगी थी। कट्टर उपदेशक जाकिर नाइक ने मुंबई पर हुए 9/11 के हमलों को ‘‘अंदरूनी काम’  बताया था। यही नहीं उसने कहा था कि मलेशिया में रह रहे हिंदूओं की स्थिति भारत में रह रहे मुसलमानों से सौ फीसदी बेहतर है। यही नहीं उनसे चीनी मूल के लोगों पर भी टिप्पणी की थी।

जिसके बाद उसके भाषणों पर मलेशिया की सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया है। भारत सरकार की सख्त कार्यवाही को देखते हुए कट्टपंथी उपदेशक नाइक 2016 में भारत छोड़कर मुस्लिम बहुल देश मलयेशिया चला गया था जहां उसे स्थाई नागरिकता मिल गई थी।

पिछले साल ही भारत सरकार ने मलेशिया से उसे प्रत्यर्पित करने के मांग की थी। जिसे वहां की सरकार ने खारिज कर दिया गया। हालांकि अब मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद भी नाइक से नाराज हैं। मलेशिया पुलिस ने सोमवार को दस घंटे तक पूछताछ की थी। हालांकि नाइक ने अपने बचाव मे कहा कि वह मलेशिया सरकार की तारीफ कर रहा था।

अगर उसके बयानों से किसी को ठेस पहुंचा है तो वह मांफी मांगता है। उधर प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा, नाइक ने हदें लांघ दीं और कैबिनेट के कई मंत्रियों ने उसे निकाले जाने की अपील की। गौरतलब है कि मलेशिया की तीन करोड़ 20 लाख की आबादी में करीब 60 फीसदी निवासी मुस्लिम हैं और यहां काफी संख्या में भारतीय और चीनी समुदाय के लोग भी रहते हैं।