India Defence Export: भारत का रक्षा क्षेत्र अब केवल अपनी जरूरतों को पूरा करने तक सीमित नहीं रहा। यह अब विश्व बाजार में अपने हथियारों की प्रतिस्पर्धी कीमत, हाई क्वालिटी और मॉर्डन टेक्नोलॉजी की वजह से प्रमुख स्थान पर पहुंच रहा है। भारतीय हथियारों की मांग सिर्फ एशियाई देशों में ही नहीं, बल्कि अमेरिका और फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों में भी देखी जा रही है।

ये हैं भारत की प्रमुख रक्षा निर्यात डील्स

भारत ने हाल ही में कई बड़े रक्षा निर्यात सौदों पर हस्ताक्षर किए हैं, जो डिफेंस सेक्टर में भारत की दबदबा साबित कर रहा है।

फिलीपींस के साथ 375 मिलियन डॉलर की ब्रह्मोस मिसाइल डील

इस वर्ष अप्रैल में भारत ने फिलीपींस को अपनी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की डिलीवरी दी। इसे फिलीपींस के साथ भारत की सबसे बड़ी रक्षा डील में से एक माना जा रहा है।

आर्मेनिया के साथ रक्षा उपकरणों का बड़ा सौदा

आर्मेनिया ने भारत से आकाश एयर डिफेंस सिस्टम, पिनाका मल्टी लॉन्च रॉकेट सिस्टम और 155 मिमी आर्टिलरी गन जैसे हथियारों का ऑर्डर दिया है। हथियारों की खरीद की टॉप थ्री लिस्ट में अमेरिका और फ्रांस का भी नाम है। 

ब्रह्मोस मिसाइल: लंबी दूरी तक सटीक हमला करने में सक्षम

ब्रह्मोस मिसाइल को ‘भारत का ब्रह्मास्त्र’ कहा जाता है। इस मिसाइल की खासियत यह है कि यह सुपर सोनिक गति से लंबी दूरी तक सटीक हमले कर सकती है। भारत की रणनीति है कि इसे दक्षिण अफ्रीका, सऊदी अरब, यूएई, वियतनाम, इंडोनेशिया, और मिस्र जैसे देशों में भी निर्यात किया जा सके।

भारत के इन रक्षा उत्पादों की मांग

ब्रह्मोस मिसाइल के अतिरिक्त, भारत अन्य कई प्रकार के हथियारों का भी निर्यात कर रहा है।

डोर्नियर-228 एयरक्राफ्ट

यह हल्का और बहु-उपयोगी विमान विभिन्न सैन्य एवं नागरिक उद्देश्यों के लिए उपयुक्त है।

बुलेटप्रूफ जैकेट

भारत में बनी बुलेटप्रूफ जैकेट्स न केवल भारतीय सेना में लोकप्रिय हैं बल्कि इन्हें कई देशों में निर्यात भी किया जा रहा है।

नाइट विजन उपकरण

अत्याधुनिक नाइट विजन उपकरण भारत द्वारा कई देशों को निर्यात किए जा रहे हैं।

आर्टिलरी गन और रडार

भारतीय आर्टिलरी गन और रडार सिस्टम ने वैश्विक रक्षा बाजार में अपनी अलग पहचान बनाई है।

2028-29 तक 3 लाख करोड़ रुपये डिफेंस प्रोडक्शन का लक्ष्य

वर्तमान में भारत का वार्षिक डिफेंस प्रोडक्शन 1.2 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, और इसे 2028-29 तक 3 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। सरकार की पॉलिसी घरेलू रक्षा उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। भारत में सरकारी रक्षा कंपनियों के साथ ही निजी क्षेत्र की कंपनियां भी तेजी से उभर रही हैं और इनका निर्यात में 21 प्रतिशत योगदान है।

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