भारत ने अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी आईएनएस अरिघात को नौसेना में शामिल करने की तैयारी पूरी कर ली है। इसके अलावा, दो परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण की परियोजना अंतिम मंजूरी की ओर बढ़ रही है, चीन की नौसेना की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर।
नई दिल्ली। भारत अपनी सामरिक क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बी, INS अरिघात, को नौसेना में शामिल करने के लिए पूरी तरह तैयार है। साथ ही पारंपरिक हथियारों से लैस दो नई परमाणु ऊर्जा चालित हमलावर पनडुब्बियों के निर्माण प्रोजेक्ट्स अंतिम मंजूरी की ओर बढ़ रहे हैं। यह कदम चीन की नौसेना की बढ़ती मौजूदगी के जवाब में उठाया गया है।
अब सेरमोनीअल लॉच के लिए तैयार है INS अरिघात
विशाखापत्तनम स्थित जहाज निर्माण केंद्र (SBC) में निर्मित 6,000 टन वजनी INS अरिघात अब सेरमोनीअल लॉच के लिए तैयार है। लंबी टेस्टिंग और टेक्नोलॉजी समस्याओं के समाधान के बाद इसे एक या दो महीने में चालू किया जाएगा। यह पनडुब्बी INS अरिहंत में शामिल हो जाएगी, जो पहले ही पूरी तरह से चालू हो चुकी है।
पहले होना था 6 सबमरींस, अब घटकर संख्या रह गई 2, जाने वजह
इसके साथ ही स्वदेशी निर्माण की परियोजना के तहत दो परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के निर्माण की लगभग 40,000 करोड़ रुपये की परियोजना अब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के समक्ष अंतिम मंजूरी के लिए प्रस्तुत की गई है। पहले इस प्रोजेक्ट्स में 6 पनडुब्बियों का निर्माण प्रस्तावित था, लेकिन अब इसे घटाकर 2 किया गया है। पहले 2 पनडुब्बियों के निर्माण में एक दशक का समय लग सकता है और अगले 4 को बाद में मंजूरी दी जाएगी।
भारत को अभी कितनी सबरमींस की है आवश्यकता?
भारत को चीन और पाकिस्तान से दोहरे खतरे का सामना करने के लिए कम से कम 18 डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों, 4 SSBN (स्ट्रेटेजिक सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां) और 6 SSN (स्ट्रेटेजिक सबमरीन न्यूक्लियर पनडुब्बियां) की आवश्यकता है। वर्तमान में भारत के पास केवल 1 SSBN, INS अरिहंत है, जबकि पारंपरिक पनडुब्बी बेड़े में 6 रूसी किलो-क्लास, 4 जर्मन HDW और 6 फ्रांसीसी स्कॉर्पीन पनडुब्बियां शामिल हैं।
चीन के पास कितनी हैं पनडुब्बियां?
चीन के पास पहले से ही 60 पनडुब्बियां हैं, जिनमें 6 जिन श्रेणी के SSBN और 6 SSN शामिल हैं। INS अरिघात भारतीय नौसेना की परमाणु तिकड़ी को और मजबूत करेगा और इसके साथ 750 किलोमीटर की रेंज वाली K-15 मिसाइलें होंगी। असली ताकत तब आएगी जब तीसरा SSBN, थोड़ा बड़ा 7,000 टन का INS अरिदमन, जिसमें 3,500 किलोमीटर की रेंज वाली के-4 मिसाइलें हैं, अगले साल कमीशन किया जाएगा। चौथा SSBN जो अधिक के-4 मिसाइलों को ले जाने में सक्षम होगा, का निर्माण भी दशकों पहले शुरू की गई 90,000 करोड़ रुपये की सिक्रेट एडवांस टेक्नोलॉजी विजल (ATV) प्रोजेक्ट के तहत किया जा रहा है। अंततः 13,500 टन के SSBN को अधिक शक्तिशाली 190 मेगावाट रिएक्टरों के साथ बनाने की भी योजना है।
लंबी दूरी की मिसाईलों से लैस बड़े SSBN से बढ़ेगी भारत की ताकत
लंबी दूरी की मिसाइलों से लैस बड़े SSBN भारत की प्रतिरोधक क्षमता को और अधिक विश्वसनीयता प्रदान करेंगे, क्योंकि वे किसी विरोधी द्वारा किए गए प्रथम हमले के बाद सुनिश्चित जवाबी हमले के लिए सबसे सुरक्षित और टिकाऊ मंच हैं। SSN बदले में, महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे दुश्मन के लक्ष्यो को नष्ट करने के लिए लंबी दूरी तक हाई स्पीड पर काम कर सकते हैं, जबकि वे लंबे समय तक पानी के नीचे रह सकते हैं, जबकि डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को अपनी बैटरी को रिचार्ज करने के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए हर कुछ दिनों में सतह पर आना पड़ता है या "स्नोर्कल" करना पड़ता है।
दो साल बाद रूस से भारत को मिलने वाला है ये स्पेशल सबमरीन
इन पनडुब्बियों से भारत की प्रतिरोधक क्षमता को नया बल मिलेगा, जो समुद्री सुरक्षा को और अधिक सशक्त बनाएगा। स्वदेशी SSN के आने तक भारत रूस से एक एडवांस अकुला रेंज का SSN 2026 में प्राप्त करेगा, जो मार्च 2019 में हुए 3 बिलियन डॉलर के सौदे के तहत होगा।
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Last Updated Aug 11, 2024, 7:47 PM IST