नई दिल्ली। भारत को दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के खिलाफ एक बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है। देश की पहली स्वदेशी एंटीबायोटिक 'नैफिथ्रोमाइसिन' (Nafithromycin) बनकर तैयार है। इसे मुंबई स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी वॉकहार्ट ने 'मिकनैफ' (Miqnaf) ब्रांड नाम से तैयार किया है। यह एंटीबायोटिक दवा इंफेक्शन के इलाज में क्रांति ला सकती है, खासतौर पर उन मामलों में जहां मौजूदा दवाएं असरदार नहीं हैं। जल्द ही यह मेडिसिन बाजार में उतारी जाएगी।

नैफिथ्रोमाइसिन: क्या है खास?

अर्ध-सिंथेटिक मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक नैफिथ्रोमाइसिन खासतौर पर कम्युनिटी-अक्वायर्ड बैक्टीरियल निमोनिया (CABP) के इलाज के लिए डेवलप की गई है। इसे केवल तीन दिनों तक दिन में एक बार लेना होता है। दवा फेफड़ों में लंबे समय तक रहती है, जिससे इसका असर तेज और प्रभावी होता है। नैफिथ्रोमाइसिन, एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) से 10 गुना अधिक असरकारक है। इसके 96.7% क्लिनिकल क्योर रेट और न्यूनतम साइड इफेक्ट्स इसे अन्य दवाओं से अलग बनाते हैं।

500 करोड़ के इंवेस्टमेंट से बनकर हुई तैयार

दुनियाभर में हर साल दो मिलियन से अधिक मौतें की वजह ड्रग-रेसिस्टेंट निमोनिया होता है। भारत में निमोनिया के 23% मामले ऐसे हैं, जहां ट्रेडिशनल दवाएं असर नहीं कर रही। भारत में दवा-प्रतिरोधी संक्रमण एक बढ़ती हुई चुनौती है। नैफिथ्रोमाइसिन से इस समस्या को हल करने की उम्मीद लेकर आया है। इसे बनाने के पीछे 14 साल की कड़ी मेहनत है। 500 करोड़ का इंवेस्टमेंट भी हुआ। इसके क्लिनिकल ट्रायल भारत, अमेरिका और यूरोप में किए गए, क्लिनिकल ट्रायल के नतीजों ने इस पर मुहर लगा दी है। 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ?

डॉक्टरों का मानना है कि नैफिथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक के क्षेत्र में एक नई क्रांति ला सकती है। यह खासतौर पर उन मरीजों के लिए यूजफुल है, जिन्हें मौजूदा दवाओं से लाभ नहीं हो रहा है। डॉक्टरों ने इसके ओवरयूज और दुरुपयोग से बचने की सलाह दी है। इसका यूज केवल तब किया जाना चाहिए, जब ट्रेडिशनल दवाएं फेल हो जाएं।

ये भी पढें-सेना की ताकत बढ़ाने के लिए सरकार का बड़ा फैसला, जानें क्या है खास