नई दिल्ली। भारतीय सेना को जल्द ही ऐसा एडवांस वेपन मिलने जा रहा है, जो वॉर जोन में दुश्मनों के मंसूबों को नेस्तनाबूद कर देगा। इंडियन आर्मी के बेड़े में अब ब्रिज लेइंग टैंक (Bridge Laying Tank) शामिल होने जा रहा है, जो सेना की ताकत में जबरदस्त बढ़ोतरी करेगा। रक्षा मंत्रालय ने इस परियोजना के लिए 1561 करोड़ रुपये की डील फाइनल की है, जो भारतीय सेना को एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस करने और स्वदेशी प्रोडक्ट्स को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम है।

क्या है ब्रिज लेइंग टैंक?

ब्रिज लेइंग टैंक एक खास तरह का बख्तरबंद वाहन है, जो वॉर के दौरान सेना को नदी, खाई या अन्य किसी बाधा को पार करने में मदद करता है। यह टैंक पुल बनाने की तकनीक से लैस होता है, जिससे बख्तरबंद वाहन, भारी उपकरण और सेना की टुकड़ियां आसानी से आगे बढ़ सकती हैं। इन टैंकों का यूज डिफेंसिव और एग्रेसिव दोनों मिशन में किया जाता है। इनकी मौजूदगी से सेना की स्ट्रैटजिक कैपेसिटी में इजाफा होता है।

स्वदेशी है यह प्रोजेक्ट

यह प्रोजेक्ट पूरी तरह से स्वदेशी है और इसे 'हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री' (HVF) और 'आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड' (AVNL) द्वारा डेवलप किया जाएगा। नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की उपस्थिति में इस डील पर हस्ताक्षर किए गए। डील के तहत भारतीय सेना के लिए कुल 47 ब्रिज लेइंग टैंक बनाए जाएंगे, जो एडवांस टेक्नोलॉजी से लैस होंगे। इन टैंकों को स्वदेशी सामग्री और तकनीक से तैयार किया जाएगा, जो 'मेक-इन-इंडिया' अभियान को एक नई मजबूती देगा।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

यह डील आत्मनिर्भर भारत और मेक-इन-इंडिया पहल का एक्सीलेंट एग्जाम्पल है। ब्रिज लेइंग टैंक प्रोजेक्ट न केवल भारतीय सेना को आधुनिक बनाएगी, बल्कि स्वदेशी रक्षा उत्पादों को बढ़ावा देकर भारत को रक्षा उपकरणों के मामले में आत्मनिर्भर बनाएगी। इसके साथ ही, यह परियोजना घरेलू उद्योगों के लिए नए अवसर प्रदान करेगी। जिससे देश में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर

ब्रिज लेइंग टैंक भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है। यह दुश्मनों की योजनाओं को विफल करने में सक्षम होगा और सेना को तेजी से आगे बढ़ने का रास्ता देगा। वॉर के दौरान पुल बनाने की कैपेसिटी सेना की रणनीतिक ताकत को कई गुना बढ़ा देती है।

नौसेना को भी मिला नया हथियार

हाल ही में भारतीय नौसेना ने भी सतह से हवा में मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइलों (MRSAM) की खरीद के लिए 2900 करोड़ रुपये की डील फाइनल की थी। यह मिसाइलें नौसेना की ताकत को और अधिक मजबूत करेंगी। 

ये भी पढें-हाइपरसोनिक ताकत से लैस होगा भारत, डिफेंस सेक्टर में बड़ी कामयाबी, जानें क्यों?