नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल होने के लिए रूस में बनी तलवार क्लास के तीसरे बैच की पहली वॉरशिप आईएनएस तुशील तैयार है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 9 दिसंबर को रूस में आयोजित एक स्पेशल प्रोग्राम में इस वॉरशिप को कमीशन करेंगे। इससे पहले, तुशील के सभी टेक्नोलॉजी और परफॉर्मेंस संबंधी टेस्ट सक्सेसफुली पूरे हो चुके हैं। कमीशनिंग के बाद, यह वॉरशिप भारतीय नौसेना की पश्चिमी बेड़े (वेस्टर्न फ्लीट) का हिस्सा बनेगा।

तुशील की खासियत क्या?

आईएनएस तुशील में अत्याधुनिक ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें तैनात हैं, जो दुश्मन के ठिकानों को तेज और सटीक तरीके से नष्ट करने के लिए जाना जाता है। तुशील का वजन 3600-3900 टन है। इसकी गति 30 नॉटिकल माइल प्रति घंटा है, जो इसे समुद्री ऑपरेशनों के लिए प्रभावी बनाती है। यह वॉरशिप 125 मीटर लंबा है। 180 नौसैनिक एक साथ तैनात हो सकते हैं। तुशील में एंटी-सबमरीन रॉकेट और टॉरपीडो लगाए गए हैं, जो इसे पनडुब्बी रोधी युद्ध में सक्षम बनाते हैं। यह पनडुब्बियों और अन्य खतरों से निपटने में कुशल है।

हाईटेक टेक्नोलॉजी से लैस

तलवार क्लास फ्रिगेट्स भारतीय नौसेना के लिए प्रमुख युद्धपोतों में से एक रहे हैं। पहले से ही छह वॉरशिप इस कैटेगरी में नौसेना का हिस्सा हैं। इनमें से तीन रूस के पीटर्सबर्ग में और तीन अन्य रूस के यार्ड्स में बने थे। तुशील इस श्रेणी का सातवां युद्धपोत है, जो इसका अपडेटेड वर्जन है। इसका नया डिज़ाइन इसे उन्नत स्टेल्थ वॉरशिप बनाता है। दुश्मन के रडार से बचने की इसकी क्षमता इसे खास बनाती है। इसमें 26% स्वदेशी सामग्री का यूज किया गया है।

अन्य वॉरशिप भी नौसेना में होंगे शामिल

इस साल के अंत तक, भारतीय नौसेना में विशाखापट्टनम क्लास का चौथा और आखिरी गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर भी शामिल हो जाएगा। इसका वजन 7400 टन है और इसमें भी ब्रह्मोस मिसाइलें लगी हैं। इसमें 32 बराक मिसाइल भी हैं, जो 100 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती हैं।

ये भी पढें-Azithromycin का 'बाप' अब भारत के पास, पहली देसी एंटीबायोटिक 'नैफिथ्रोमाइसिन' लॉन्च