श्रीहरिकोटा। भारत का स्पेस मिशन आज एक और लंबी छलांग लगाने को तैयार है। आंध्र प्रदेश के हरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट के जरिए दो उपग्रहों को लॉन्च किया जाएगा। स्पाडेक्स मिशन अंतरिक्ष में दोनों उपग्रहों की डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक का परीक्षण करेगा। यह तकनीक भारत को अमेरिका, रूस और चीन के एलीट क्लब में शामिल करेगी।

स्पेस डॉकिंग क्यों है महत्वपूर्ण?

डॉकिंग तकनीक का यूज तब किया जाता है, जब अंतरिक्ष में कई यानों का मिलन करना होता है। यह तकनीक भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान और मानवयुक्त मिशनों के लिए बेहद अहम है। इस तकनीक को अब तक कोई देश साझा नहीं करता, इसलिए भारत ने इसे स्वदेशी रूप से विकसित किया है।

मिशन के बारे में खास बातें

लॉन्चिंग स्थल: सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश।
रॉकेट: अपने सबसे भरोसेमंद पीएसएलवी-सी60 का यूज करेगा भारत।
उपग्रह: दो छोटे उपग्रह लॉन्च किए जाएंगे, हर एक का वजन 220 किग्रा होगा।
कक्षा: 470 किमी की वृत्ताकार कक्षा, 55° झुकाव पर।
इनका समय चक्र 66 दिन का होगा।
समय: 9:58 PM, 2024 का अंतिम मिशन।
स्पाडेक्स मिशन के बाद भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
इस तकनीक का यूज भविष्य में चंद्रयान और अन्य मिशनों में किया जाएगा।
यह मिशन अंतरिक्ष अनुसंधान और सहयोग के नए रास्ते खोलेगा।
पूरी तरह से भारत में विकसित डॉकिंग तकनीक। 
दुनिया को एक बार फिर चौंकाएगा भारत। 

साल 2024 का आखिरी मिशन

स्पाडेक्स मिशन, स्पेस सेक्टर में साल 2024 को अंतिम मिशन है, जो रिसर्च के लिए रास्ते खोलेगा। इस मिशन के बाद स्पेस इंडस्ट्री में भारत की स्थिति और मजबूत होगी। स्पाडेक्स मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित करता है, बल्कि यह अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊंचाइयों को छूने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।

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