नई दिल्लीे। भारत के 18 वर्षीय ग्रैंडमास्टर डी. गुकेश ने इतिहास रचते हुए वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप 2024 का खिताब अपने नाम किया। वे न केवल सबसे युवा वर्ल्ड चेस चैंपियन बने हैं, बल्कि खिताब जीतने वाले विश्वनाथन आनंद के बाद दूसरे भारतीय ग्रैंडमास्टर भी बन गए हैं। उनकी इस सफलता ने पूरे देश को गौरवान्वित कर दिया है। उनका स्कूल चेन्नई के मोगप्पैर स्थित वेलम्मल विद्यालय है, जिसे शतरंज की नर्सरी के रूप में जाना जाता है। इस स्कूूल ने आर. प्रग्गनानंधा जैसे चेस के ग्रैंड मास्टर दिए हैं।

वेलम्मल से जुड़े शतरंज के सितारे

•    डी. गुकेश: सबसे युवा वर्ल्ड चेस चैंपियन।
•    आर. प्रग्गनानंधा: चेस ओलंपियाड में सिल्वर मेडल विजेता।
•    वैशाली आर: प्रग्गनानंधा की बहन और महिला ग्रैंडमास्टर।
•    आर. रक्षिता: प्रतिभाशाली महिला ग्रैंडमास्टर।
•    एस.पी. सेतुरमन, लियोन मेन्डोंका और बी. अधिबान: वर्ल्ड  लेबल के प्लेयर।

भारत की शतरंज राजधानी है चेन्नई

चेन्नई को "भारत की चेस कैपिटल" के रूप में जाना जाता है। यहां 1970 के दशक से ही प्राइवेट चेस एकेडमियां मौजूद हैं। 1980 के दशक में वर्ल्ड चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने सोवियत कल्चरल सेंटर से चेस की शुरुआत की। उनकी सफलता ने चेन्नई और पूरे देश में शतरंज को एक नई पहचान दिलाई। चेन्नई में आज 60 से अधिक मान्यता प्राप्त चेस एकेडमियां हैं, जिनमें "चेस गुरुकुल" और "इंडियन चेस स्कूल" जैसे बड़े नाम शामिल हैं। इनमें से "चेस गुरुकुल" को ग्रैंडमास्टर आर.बी. रमेश चलाते हैं, जो प्रग्गनानंधा के कोच भी हैं।

वेलम्मल स्कूल ने लगातार पांच बार वर्ल्ड स्कूल चेस चैंपियनशिप का जीता है खिताब 

1986 में एम.वी. मुथुरमलिंगम द्वारा स्थापित वेलम्मल ग्रुप, शिक्षा के साथ खेलों को भी बढ़ावा देने में आगे है। मुथुरमलिंगम ने अपनी मां वेलम्मल के नाम पर इस संस्थान की शुरुआत की। आज वेलम्मल ग्रुप तमिलनाडु में 56 स्कूल और कॉलेज चलाता है। 2013 में तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता द्वारा शुरू किए गए '7 से 17 कार्यक्रम' ने वेलम्मल के शतरंज खिलाड़ियों को और भी मजबूत बनाया। इसी का परिणाम है कि वेलम्मल स्कूल ने लगातार पांच बार वर्ल्ड स्कूल चेस चैंपियनशिप का खिताब जीता है। वेलम्मल विद्यालय ने डी. गुकेश को न केवल खेल के लिए आवश्यक सुविधाएं प्रदान कीं, बल्कि उनकी मानसिक और तकनीकी तैयारी में भी अहम भूमिका निभाई। यहां के शिक्षकों और कोचों ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की।

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