नयी दिल्ली। श्रीलंका में रामायण से जुड़े स्थल विकसित होंगे। इस काम में भारत अपने पड़ोसी देश की मदद करेगा। इसी सिलसिले में रविवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी श्रीलंका में थे। भारत के उच्चायुक्त संतोष ज्ञा ने उनकी मेजबानी की। भारत 'राम' से जुड़े स्थलों के विकास में कैसे सहयोग कर सकता है? उन तौर—तरीकों पर चर्चा हुई। 

रामायण ट्रेल परियोजना के बारे में जानिए

रामायण ट्रेल के तहत, इस पवित्र महाकाव्य से जुड़े पौराणिक स्थलों को जोड़ा जाना है। यह वह स्थल हैं, जिसने जुड़ी कहानियां रामायण ग्रंथ में वर्णित हैं। उनमें से 9 प्रमुख स्थानों को रामायण ट्रेल से जोड़ने की योजना है। ताकि भारत से श्रीलंका जाने वाले लोग उन जगहों के सुलभता से दर्शन कर सकें। इसी परियोजना के उद्घाटन समारोह में संतोष झा भी शामिल हुए थे।

'एक्स' पोस्ट में कही गईं ये बातें

भारतीया उच्चायोग ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए कहा कि हमारे उच्चायुक्त संतोष झा स्वामी गोविंद देव ​गिरी महाराज और उनकी टीम से मिले, जो श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष हैं। उनसे उन तरीकों पर बात हुई, जिससे श्रीलंका में रामायण से जुड़े स्थानों का विकास किया जा सके, जो आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकता है।

32 जगहों को डेवलप कर रहा श्रीलंका का टूरिज्म बोर्ड

रिपोर्ट्स के अनुसार, श्रीलंका ने ऐसे 56 जगहों की मान्यताओं के बारे में आधिकारिक तौर पर पुष्टि की है। जिनका रामायण में उल्लेख है। उनमें से 32 जगहों को श्रीलंका सरकार का टूरिज्म बोर्ड डेवलप कर रहा है। उनमें प्रमुख तौर पर श्रीलंका में मौजूद 5 बड़े शिव मंदिर हैं। उनमें रावण का बनवाया गया मंदिर भी शामिल है। अशोक वाटिका, रामसेतु, हनुमान टेंपल शामिल हैं। श्रीलंका की स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, अशोक वाटिका को अब अशोक वनम कहा जाता है।

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