दिग्गज टीमों के टूर्नामेंट से बाहर होने और उनके फैंस की निराशा के बीच रूस में खेला जा रहा ये विश्वकप अब तक बेहद रोमांचक रहा है। स्पेन, पुर्तगाल, अर्जेंटिना जर्मनी जैसी मज़बूत टीमें अपना बोरिया-बिस्तर समेट चुकी हैं वहीं ब्राज़ीली टीम बड़ी मुश्किल से क्वार्टरफ़ाइनल तक का सफ़र पूरा कर सकी है।
दो विगत विजेताओं के बीच इस विश्व का ये पहला मुकाबला है। मैच शुक्रवार शाम 7.30 से बजे खेला जायेगा और मुकाबले के 90 मिनट यादगार होने वाले हैं। इस मुकाबले को लेकर एक्सपर्ट्स से लेकर फुटबॉल प्रेमियों में इतना उत्साह क्यों है, ये जानना भी दिलचस्प है।

कायलिन मबापे और डिएगो गोडिन का महामुकाबला

कहते हैं कि शराब जितनी पुरानी होती है, सुरूर उतना ही ज़्यादा होता है लेकिन साहब ये खेल का मैदान है, यहां महज़ 19 साल की उम्र में कायलिन मबापे ने तूफान ला दिया है। मबापे की रफ्तार को जिसने देखा, दीवाना हो गया। ये तूफानी रफ्तार का जादू ही था कि अर्जेंटिना का डिफ़ेन्स धरा का धरा रह गया। मबापे ने अर्जेंटिना की रक्षापंक्ति को ध्वस्त करते हुए दो गोल मारे। हालांकि इस बार फ्रांस के लिए मामला आसान नहीं होगा क्योंकि उरुग्वे का डिफ़ेन्स अब तक सबसे शानदार दिखा है। टीम ने अब तक महज़ एक ही गोल खाया है। गोलची ला सेलेस्टे गोल की रक्षा एक दीवार की तरह कर रहे हैं तो वहीं कप्तान गोडिन गोलची के आगे चतुर प्रहरी की तरह खड़े रहते हैं।


एडिंसन कवानी के खेलने पर संशय

प्री क्वार्टरफ़ाइनल में एडिंसन कवानी उरुग्वे की तरफ़ से टोरनेडो की तरह खेले। कवानी ने मुकाबले में दो गोल दागे लेकिन मैच के दौरान ही वो चोटिल हो गए। पुर्तगाल के कप्तान रोनाल्डो उनको सहारा देकर मैदान से बाहर ले गए। कवानी पिंडली की चोट से परेशान हैं। उरुग्वे के फ़ैन्स उनकी वापसी की दुआ कर रहे होंगे। लुइस सुआरेज़ के साथ उनकी जुगलबंदी टीम के लिए बेहद ज़रूरी होगी

पॉल पोग्बा का दबाव में होना 

यह खिलाड़ी फ्रांस के मिडफील्ड की जान है. अटैक के दौरान उनकी भूमिका अहम होती है, मौका पड़ने पर खुद भी गोल जमाने की क्षमता रखते हैं. वह आमतौर पर सेंटर मिडफील्डर की पोजीशन पर खेलते हैं और जरूरत पड़ने पर अटैकिंग मिडफील्डर की तरह भी खेलते हैं. लेकिन पोग्बा विश्वकप में अपनी पहचान के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके हैं। अर्जेंटिना के साथ मुकाबले को छोड़ दें तो फ्रांस के प्रदर्शन का भी कमोबेश यही हाल है। 

कई खिलाड़ियों पर निलंबन का खतरा 

फ्रांस के लिए सबसे मुश्किल बात ये है कि उसके कई खिलाड़ियों पर निलंबन का खतरा मंडरा रहा है. मतुइदी उरुग्वे के ख़िलाफ नहीं खेल पाएंगे, वहीं पोग्बा, कोरेंटिन टोलिसो को अगर फिर से पीला कार्ड देखना पड़ा तो टीम के सेमीफ़ाइनल में पहुंचने के स्थिति में वो मैच नहीं खेल पाएंगे। यही समस्या ओलिवर गिरु और बेंजामिन पावार्ड के साथ भी है जबकि उरुग्वे इस मामले में बेहद साफ-सुथरी है, मैदान पर उसके खिलाड़ियों का आचरण शानदार रहा है। सिर्फ रोडरिगो बेन्टंकर को पीला कार्ड देखना पड़ा है।

दोनों टीमें फॉर्म में पर उरुग्वे का पलड़ा भारी 

पहले क्वार्टरफ़ाइनल उतरने वाली दोनों ही टीमें फॉर्म में हैं। उरुग्वे अपने पिछले सात मुकाबले लगातार जीते हैं जबकि फ्रांस को पिछले 16 मुकाबलों में से एक में हार का सामना करना पड़ा है। दोनों टीमों के बीच खेले गए पिछले तीन मुकाबलों में दो जहां ड्रा रहे वहीं एक मुकाबले में बाज़ी उरुग्वे के हाथ लगी। पेनाल्टी शूटआउट की स्थिति में पलड़ा फ्रांस का भारी दिखता है।
कुल मिलाकर ये जान लें कि मुकाबला होगा बड़ा रोमांचक, कहीं टीवी के सामने बैठे मैच में मशगूल आप अपने नाखुन न चबाने लगें इसका ध्यान रखिएगा।