अगर निहित स्वार्थी तत्व न्यायालय में अपने मामले की सुनवाई के लिए अनुकूल पीठ तक गठित करवाने का खेल रच रहे हैं तो साफ है कि हमारी न्यायपालिका गंभीर बीमारी से ग्रस्त है। उच्चतम न्यायालय को भी भ्रष्ट और बेईमान तत्व परोक्ष रुप से अपनी गिरफ्त में लेने में सफल हो रहे हैं और ज्यादातर न्यायाधीशों तक को इसका पता भी नहीं है। बेईमान पूंजीपतियों से लेकर अनेक प्रकार के लॉबिस्ट, बिचौलिए, निहित स्वार्थी तत्वों का जाल इसके इर्द-गिर्द भी फैल चुका है। जाहिर है, इसकी सम्पूर्ण सफाई अनिवार्य है।