नयी दिल्ली। संविधान के अनुच्छेद 16(4) के तहत सरकारी नौकरियों में आरक्षण यानी रिजर्वेशन की व्यवस्था लागू की जाती है। जिसके अनुसार, वैकेंसी में अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को एक निश्चित प्रतिशत में नौकरी दिए जाने का प्रावधान है। हालिया, केंद्र सरकार द्वारा लेटरल एंट्री और कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग से जुड़े पदों में आरक्षण समाप्त किए जाने का मुद्दा चर्चा में रहा है। जिससे आरक्षण की नयी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं। पर क्या आप जानते हैं कि केंद्र सरकार के कुछ ऐसे भी विभाग हैं, जहां आज भी रिजर्वेशन लागू नहीं होता। आइए उसके बारे में जानते हैं। 

क्या है लेटरल एंट्री विवाद?

केंद्र सरकार ने 17 अगस्त 2023 को यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों में 45 पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला। इस भर्ती प्रक्रिया को "लेटरल एंट्री" कहा जाता है, जिसमें निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सीधे उच्च पदों पर नियुक्त किया जाता है। इसके लिए उम्मीदवारों की न्यूनतम उम्र 45 साल और 15 साल का अनुभव जरूरी था। लेकिन इस भर्ती में आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया था, जिससे विपक्ष ने इसे संविधान विरोधी करार दिया। हालांकि 
केंद्र सरकार ने इस भर्ती को रद्द कर दिया है। 

केंद्र सरकार की नौकरी में आरक्षण की क्या व्यवस्था है?

अनुसूचित जाति (SC) के लिए: 15% आरक्षण
अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए: 7.5% आरक्षण
अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए: 27% आरक्षण
इस तरह कुल 50% आरक्षण का प्रावधान। 
इसका मकसद सरकारी नौकरियों में समान अवसरों की गारंटी है। 
समाज के वंचित वर्गों को भी बराबरी का मौका।

केंद्र सरकार के किन विभागों में आरक्षण नहीं लागू होता?

हालांकि सरकारी नौकरियों में आरक्षण लागू होता है, लेकिन कुछ खास विभाग और संस्थान ऐसे हैं जहां आरक्षण का प्रावधान नहीं किया जाता। 

न्यायपालिका (Judiciary)

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 और 217 के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। यह तर्क दिया जाता है कि न्यायपालिका में अनुभव और योग्यता का प्रमुख स्थान होता है और इसमें आरक्षण की व्यवस्था न्यायिक स्वतंत्रता और गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, सरकार ने न्यायिक नियुक्तियों में महिलाओं और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने पर विचार करने की बात कही है।

रक्षा क्षेत्र (Defense Sector)

भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना जैसी रक्षा सेवाओं में आरक्षण का कोई नियम नहीं है। इसके पीछे तर्क यह है कि रक्षा क्षेत्र में भर्तियां देश की सुरक्षा से संबंधित होती हैं, जहां शारीरिक और मानसिक फिटनेस, लीडरशिप स्किल और देशभक्ति प्रमुख मापदंड होते हैं। यहां मेरिट के आधार पर भर्ती होती है और आरक्षण लागू करने से सेना के मानकों पर असर पड़ सकता है।

ISRO और DRDO

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) जैसे प्रमुख संस्थानों में भी आरक्षण लागू नहीं होता। ये संस्थान विज्ञान और रक्षा के क्षेत्र में काम करते हैं और इनके काम की गुणवत्ता के कारण इन्हें आरक्षण से छूट दी गई है। ऐसे संस्थानों में सभी को समान अवसर मिलते हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में योग्यता को प्राथमिकता दी जाती है।

वरिष्ठ स्तर पर प्रमोशन (Senior Level Promotions)

IAS, IPS और IFS जैसी ऑल इंडिया सर्विसेज़ में सीनियर लेवल पर प्रमोशन में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। इसका कारण यह है कि यहां प्रमोशन के लिए अनुभव और उपलब्धियों को मापदंड बनाया जाता है। सीनियर लेवल पर नियुक्तियों में योग्यता और प्रदर्शन को प्रमुख स्थान दिया जाता है।

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