लखनऊ। बढ़ता टेम्प्रेचर जीवन रक्षक दवाओं के लिए घातक साबित हो रहा है। इन दवाओं को उचित टेम्प्रेचर में रखने की आवश्यकता होती है। इसलिए ऐसी दवाओं को घर लाते समय सावधानी बरतने की जरूरत है। दवा उत्पादन और आपूर्ति के समय बढ़ता तापमान निर्माण इकाइयों और दवा ट्रांसपोर्टरों के लिए भी चिंता का विषय है। फार्मेसिस्ट फेडरेशन के सुनील यादव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बढ़ते तापमान को देखते हुए विभिन्न देशों में किए गए शोध को ध्यान में रखा जा सकता है, क्योंकि देश की भौगोलिक परिस्थितियां अलग हैं। आर्थिक—सामाजिक स्तर पर भी कई असमानताएं हैं। ऐसे में आम लोगों को भी इसको लेकर जागरूक होना चाहिए। 

लंबे समय तक उच्च तापमान में खराब हो सकती हैं दवाएं

एम्स नई दिल्ली के प्रो. डॉ. हरलोकेश यादव ने कहा कि अधिकांश ओटीसी और प्रिस्क्रिप्शन दवाओं में सक्रिय रसायन उच्च तापमान पर तीव्र प्रतिक्रिया करते हैं। लंबे समय तक उच्च तापमान के संपर्क में रहने से मेडिसिन अप्रभावी या हानिकारक हो सकती हैं। यदि दवा लंबे समय तक उच्च तापमान के संपर्क में है, तो उसका यूज करने से पहले फार्मासिस्ट या स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से संपर्क करना चाहिए।

अधिक तापमान से दवाओं के खराब होने के हैं ये संकेत

  • गोलियाँ अधिक आसानी से टूट रही हैं, या जेल कैप आपस में चिपक रहे हैं।
  • तरल पदार्थ सामान्य से अधिक बादलदार दिख सकते हैं या अजीब गंध महसूस हो सकती है। 
  • ये तापमान में उतार-चढ़ाव की वजह से दवाओं के प्रभावित होने के संकेत हैं।
  • मेडिकल दुकानों पर भंडारण दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन जरूरी।
  • खरीददार को घर पर भंडारण के संबंध में फार्मासिस्ट सलाह दे सकते हैं। 
  • दवाओं को सीधे धूप से दूर ठंडी जगह पर रखें।
  • बाथरूम और किचन में मेडिसिन रखने से बचें। हमेशा इंसुलेटेड कंटेनर का यूज करें। 
  • स्टोर की खिड़कियों से दूरी पर मेडिसिन रखी जाए। परदे पूरी तरह बंद होने चाहिए।

अधिक गर्म और नमी वाले स्थानों पर खराब हो सकती हैं दवाएं

प्रो. डॉ. प्रकाश वी दीवान के अनुसार, दवाओं को जब अत्यधिक गर्म, ठंडे या नमी वाले स्थानों पर संग्रहीत किया जाता है, तो वे अस्थिर या खराब हो सकते हैं। नतीजतन, नकारात्मक दुष्प्रभावों का खतरा होता है और उसकी प्रभावशीलता कम होती है वह अलग। अधिकांश एंटीबायोटिक्स तापमान के प्रति बेहद संवेदनशील होते हैं। 

तापमान सीमा के भीतर रखें ये दवाएं

इंसुलिन, मोनोक्लोनल एंटीबॉडी, बाल चिकित्सा एंटीबायोटिक्स, अस्थमा इनहेलर, एपिपेन्स और नाइट्रो-ग्लिसरीन (जो प्रकाश के प्रति भी संवेदनशील है) जैसी आवश्यक दवाओं को तापमान सीमा के भीतर रखा जाना चाहिए। एंटी हिस्टामाइन, डिकॉन्जेस्टेंट, मनोरोग दवाएं गर्मी की वजह से प्रभावित हो सकती हैं। आमतौर पर डॉक्टर-फार्मासिस्ट कारों, एम्बुलेंस में प्राथमिक चिकित्सा किट रखते हैं, बढ़ते तापमान की स्थितियों में उन दवाओं की प्रभावशीलता पर असर पड़ सकता है।  

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