International Labour Day 2024 : "परेशानियां बढ़ जाए तो इंसान मजबूर होता है, श्रम करने वाला हर व्यक्ति मजदूर होता है।" ये लाइनें उन सभी कामगारों के लिए हैं जो मेहनत करके दो जून की रोटी ईमानदारी से कमाता है। आज 01 मई इंटरनेशल लेबर डे यानि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस है। यह क्यो मनाया जाता है। इसकी शुरूआत कहां से और कैसे हुई।आज इसी के बारे में हम बताने जा रहे हैं।

International Labour Day मनाने की शुरूआत कहां और कब हुई?
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने की नींव अमेरिका में 137 साल पहले रखी गई, जब अमेरिकी मजदूरों ने अपने अधिकारों को लेकर आवाज उठाते हुए आंदोलन किया। उन दिनों मजदूरों से एक दिन में 15-15 घंटे काम लिया जाता था। इसी समय को कम और तय कराने की मांग करते हुए मजदूर 1886 में सड़कों पर उतर आए और हड़ताल करने लगे। आंदोलन में पुलिसकर्मियों ने मजदूरों पर लाठीचार्ज और फायरिंग कर दी। इस दौरान कई मजदूरों की जान चली गई और सैकड़ों श्रमिक घायल हो गए।

 

International Labour Day कब लागू हुआ?
घटना के तीन साल बाद 1889 में पेरिस में हुए एक सम्मेलन में मजदूरों के आंदोलन की वर्षगांठ के रूप में मजदूर दिवस मनाने का फैसला लिया गया। साथ ही मजदूरों के अनिश्चित कार्य अवधि को घटाकर 8 घंटे प्रतिदिन का रूल लागू हुआ। इस दिन को मनाने का उद्देश्य मजदूरों के श्रम योगदान का सम्मान करना और उनके अधिकारों के हनन को रोकना है। आज के दिन विश्व के कई देशों में छुट्टी रहती है। भारत के भी कई राज्यों में इस दिन अवकाश घोषित है। इसका मकसद उन मजदूरों को सम्मान देना है, जो अपने खून पसीने से सींच कर उस इमारत को तैयार करते हैं, जिसकी बुलंदियों पर हमारी सफलता का परचम लहराता है।

International Labour Day की भारत में कब से हुई शुरूआत?
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत 101 साल पहले हुई थी। भारत में लेबर किसान पार्टी ऑफ हिन्दुस्तान ने 1 मई 1923 को मद्रास में इसकी शुरुआत की थी। यही वह मौका था जब पहली बार लाल झंडा मजदूर दिवस के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया। यह देश में मजदूर आंदोलन का प्रारंभिक दौर था। जिसका नेतृत्व वामपंथी सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं।


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