New Criminal Law: देश में 01 जुलाई 2024 से 3 नए क्रिमिनल लॉ लागू हो जाएंगे। जिसके बाद से 162 वर्ष पुराना कानून बदल जाएंगे। जिसके बाद पुलिस कस्टडी से लेकर FIR एवं चार्जशीट प्रॉसेस तक  बदल जाएगा। अंग्रेजी हुकुमत के दौरान वर्ष 1860 में बनी IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता, CRPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता ले लेगी। न्यू लॉ लाने का मकसद अंग्रेजी हुकूमत के इन आउटडेटेड नियम-कायदों को हटाकर उनकी जगह आज की जरूरत के हिसाब से नया कानून लागू करना है।

चेंज हो जाएगा क्रिमिनल लॉ सिस्टम
न्यू लॉ रूल लागू होने के बाद क्रिमिनल लॉ सिस्टम में बदल जाएगा। जैसे पूरे देश में कही से भी कहीं की जीरो FIR धाराओं के साथ रजिस्टर्ड कराई जा सकेगी। 15 दिन के भीतर जीरो FIR संबंधित थाने को भेजनी होगी। कुछ मामलों गिरफ्तारी से पहले सीनियर्स से आर्डर लेना पड़ेगा। न्यू लॉ कानून के कुछ प्रकरणों में पुलिस आरोपी को अब हथकड़ी लगाकर गिरफ्तार कर सकेगी। इसमें पुलिस की जिम्मेदारी भी बढ़ जाएगी। अब स्टेट गर्वनमेंट को अपने प्रदेश के जिलों के हर थाने पर ऐसे एक पुलिस अफसर की तैनाती करनी होगी, जिस पर किसी की अरेस्टिंग से जुड़े डिटेल्स रखने का जिम्मा होगा।

पुलिस से लेकर कोर्ट तक की बढ़ जाएगी जवाबदेही
नए लॉ रूल्स के मुताबिक किसी भी पीड़ित को 90 दिन के अंदर पुलिस को अपनी जांच प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी पड़ेगी। 90 दिन के पीरियड में ही चार्जशीट भी कोर्ट में दाखिल करनी होगी। विशेष परिस्थिति में कोर्ट से आदेश लेकर चार्जशीट दाखिल करने का टाइम 90 दिन का एक्स्ट्रा मिल सकता है। यानि 180 दिन में जांच पूरी करके ट्रायल शुरू कराना आवश्यक हो जाएगा। इस कानून में कोर्ट का जिम्मा भी बढ़ जाएगा। कोर्ट को दो महीने यानि 60 दिन में आरोप तय करने होंगे और सुनवाई पूरी होने के बाद एक महीने यानि 30 दिन में फैसला सुनाना होगा। यही नहीं फैसला सुनाने और सजा के ऐलान में भी सिर्फ 7 दिन का ही टाइम रहेगा। 

अब भगोड़े क्रिमिनल्स पर भी चल सकेगा केस
नए BNS कानून के तहत अब फरार घोषित क्रिमिनल्स पर भी मुकदमा चल सकेगा। पहले किसी क्रिमिनल या आरोपी पर ट्रायल तभी शुरू होता था, जब वो कोर्ट में मौजूद रहता था। न्यू लॉ के मुताबिक आरोप तय होने के 90 दिन बाद भी अगर आरोपी कोर्ट में पेश नहीं होता है तो भी ट्रायल शुरू किया जा सकेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि कोर्ट मान लेगी कि आरोपी ने निष्पक्ष सुनवाई के अपने अधिकार को खो दिया है।

मर्सी पिटीसन पर भी चेंज हो गया रूल
सजा-ए-मौत के दोषियों को अपना पनिशमेंट कम कराने के या माफ कराने का लास्ट स्टेप मर्सी पिटीसन होती है। जब सारे कानूनी रास्ते बंद हो जाते हैं तो दोषी के पास राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दाखिल करने का अधिकार बचता है। न्यू लॉ रूल्स के मुताबिक अब तक सारे कानूनी रास्ते खत्म होने के बाद मर्सी पिटीशन दाखिल करने की कोई टाइम लिमिट नहीं थी, लेकिन अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 472 (1) के तहत सारे कानूनी ऑप्शन खत्म होने के बाद दोषी को 30 दिन के भीतर राष्ट्रपति के सामने मर्सी पिटीशन दाखिल करनी होगी। राष्ट्रपति का मर्सी पिटीशन पर जो भी फैसला होगा, उसकी जानकारी 48 घंटे के भीतर सेंट्रल गर्वनमेंट को स्टेट गर्वनमेंट के गृह विभाग और जेल के सुपरिंटेंडेंट को देनी जरूरी हो गई।



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