'बचपन का डिमेंशिया' सुनकर आप भी सरप्राइज होंगे। यह सुनना अजीब लगता है। पर सच है। ऑस्ट्रेलिया में इस बीमारी से बच्चे और युवा जूझ रहे हैं। जिनकी संख्या करीबन 1400 आंकी गई है। दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोजा जा सका है।
नयी दिल्ली। 'बचपन का डिमेंशिया' सुनकर आप भी सरप्राइज होंगे। यह सुनना अजीब लगता है। पर सच है। ऑस्ट्रेलिया में इस बीमारी से बच्चे और युवा जूझ रहे हैं। जिनकी संख्या करीबन 1400 आंकी गई है। दुर्भाग्य की बात है कि अभी तक इस बीमारी का इलाज नहीं खोजा जा सका है। हालांकि इसकी वजह बुढ़ापे में होने वाले डिमेंशिया से अलग होती है। पर दोनों केस में बीमार एक समान रूप से बढ़ती है।
दुर्लभ जेनेटिक डिसआर्डर वजह
रिपोर्ट्स के अनुसार, 100 से ज्यादा दुर्लभ जेनेटिक डिसआर्डर में से किसी एक की वजह से बचपन का डिमेंशिया रोग होता है। इस बीमारी से ग्रस्त बच्चे अपना दसवां बर्थडे नहीं देख पाते हैं। ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि 18 साल की उम्र से पहले ही उनकी डेथ हो जाती है। ऐसे हालात में भी ज्यादातर लोगों को इस भयावह बीमारी के बारे में नहीं जानते हैं। इतना ही नहीं इस रोग के इलाज और उपचार खोजने के लिए शोध पर भी ध्यान नहीं दिया गया।
क्यो होता है बचपन में डिमेंशिया?
ज्यादातर मामलों में बचपन में डिमेंशिया हमारे डीएनए में म्यूटेशन की वजह से होते हैं। जिसकी वजह से दुर्लभ जेनेटिक्स डिसआर्डर पैदा होते हैं और बचपन में डिमेंशिया होने की वजह बनते हैं। दो-तिहाई केस सामने आने की वजह 'जन्मजात मेटाबॉलिक दोष' होता है। आसान भाषा में समझा जाए तो बॉडी में फैटी एसिड, लिपिड, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के टूटने में शामिल मेटाबॉलिक पथ फेल होने लगते हैं। ऐसे में न्यूरल पथ काम न करने से न्यूरॉन्स मरने लगती हैं। आपको बता दें कि शरीर में संदेश भेजने वाली तंत्रिका कोशिकाओं को न्यूरॉन्स कहते हैं।
बचपन के डिमेंशिया का बच्चों पर क्या असर?
शुरूआत में तो ज्यादातर बच्चे बचपन के डिमेंशिया से प्रभावित नहीं दिखते। सामान्य विकास का एक दौर चलता है। पर उसके बाद सीखने, याद करने जैसी एबिलिटि खोने लगते हैं। व्यवहार में आक्रामकता और अति सक्रियता के रूप में बदलाव आने लगता है। नींद भी प्रभावित होती है। दौरे भी पड़ने के लक्षण आ सकते हैं। यह लक्षण अलग—अलग उम्र में दिखाई सकते हैं।
बचपन के डिमेंशिया का क्या इलाज है?
इस रोग का इलाज दुनिया के कुछ हिस्सों में ही संभव है। जीन रिप्लेसमेंट, जीन-संशोधित सेल थेरेपी की जाती है या फिर प्रोटीन या एंजाइम रिप्लेसमेंट थेरेपी के जरिए इस रोग का इलाज किया जाता है। शोध में प्रगति की वजह से आस्ट्रेलिया में कैंसर की वजह से बच्चों की मृत्यु दर में गिरावट आई है।
Last Updated Apr 27, 2024, 11:14 PM IST