लोकसभा चुनाव 2024 से पहले केंद्र सरकार ने सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी CAA लागू कर दिया है। अब 31 दिसम्बर, 2014 से पहले पड़ोसी देशों से भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता मिलेगी। 12 मई को पश्चिम बंगाल के बैरकपुर में एक चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने CAA को लेकर कहा कि इस कानून को लागू होने से कोई नहीं रोक सकता है। जिससे एक बार फिर CAA को लेकर पश्चिम बंगाल की धरती से ही हवा मिल गई है। आईए जानते हैं CAA के 7 नफा और नुकसान। 
 

CAA के क्या हैं फायदे?

  1. CAA का मकसद पड़ोसी देशों में रह रहे गैर-मुस्लिम अल्‍पसंख्‍यकों को नागरिकता प्रदान करना है।
  2. CAA एक्ट तीन देशों से आए प्रवासियों को नेचुरलाइजेशन तरीके से नागरिकता हासिल करने की सुविधा देता है।
  3. नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 में अवैध प्रवासियों के भारत में निवास का समय 11 साल से घटाकर 5 साल कर दिया गया है।
  4. CAA कानून उन विदेशी लोगों के लिए है जो भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई करते हैं।
  5. कोई भी व्यक्ति जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदाय से है वो इस कानून के तहत भारत की नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकता है।
  6. यहां गौर करने वाली बात यह है कि CAA केवल अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान में रह रहे उक्‍त धर्म के अल्‍पसंख्‍यकों को नागरिकता देने से जुड़ा है।
  7. सरकार का कहना है कि मुसलमानों को बाहर रखा गया है क्योंकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश इस्लामिक देश हैं।

 

CAA से नुकसान क्या हैं?

  1. विरोध करने वालों का कहना है कि CAA सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं करता है, न ही यह सभी पड़ोसियों पर लागू होता है।
  2. अधिनियम कला एक्ट(act is violativeof Art) 14 का उल्लंघन है। जो नागरिकों और विदेशियों को समानता के अधिकार की गारंटी देता है।
  3. CAA संविधान की छठी अनुसूची के तहत आने वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा जो असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में स्वायत्त आदिवासी बहुल क्षेत्रों से संबंधित है।
  4. यह विधेयक उन राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिजोरम) पर भी लागू नहीं होगा जहां इनर-लाइन परमिट व्यवस्था है।
  5. इस क्षेत्र के कई राज्य विरल आबादी वाले हैं, जिनमें जनजातीय आबादी काफी अधिक है। अप्रवासियों के आने से संस्कृति बदलने का डर।
  6. सरकार के लिए अवैध प्रवासियों और सताए गए लोगों के बीच अंतर करना मुश्किल है।
  7. इससे उन पड़ोसी देशों के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंध खराब हो सकते हैं, जहां धार्मिक उत्पीड़न हुआ है।

 


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