नई दिल्ली: आजकल स्मार्टफोन और सोशल मीडिया एप्स का प्रभाव बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसी ऐप्स बच्चों को न सिर्फ अट्रैक्ट कर रही हैं, बल्कि उनके स्क्रीन टाइम को भी बढ़ा रही हैं। इसका असर उनकी पढ़ाई और व्यवहार पर पड़ता है। यदि आपके बच्चे भी स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल करते हैं, तो इसे कम करना बेहद जरूरी है। यहां हम आपको 5 ऐसी स्मार्टफोन सेटिंग्स के बारे में बताएंगे, जो बच्चों की स्क्रीन टाइम और सोशल मीडिया की लत को कम करने में मददगार साबित हो सकती हैं।

कंटेंट फ़िल्टरिंग 

स्मार्टफोन में कंटेंट फ़िल्टरिंग और पैरेंटल कंट्रोल्स की सुविधा मौजूद होती है। यहां पर आप पैरेंटल कंट्रोल्स को ऑन कर सकते हैं, ताकि बच्चे केवल उम्र के मुताबिक ऐप्स को ही डाउनलोड कर सकें। यूट्यूब, नेटफ्लिक्स और अन्य कई सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स में ‘किड्स मोड’ मौजूद है। इसे ऑन करने पर बच्चों को सिर्फ ऐसे वीडियो और कंटेंट दिखाई देंगे जो उनके लिए सुरक्षित हैं। Qustodio, Norton Family और Kaspersky Safe Kids जैसे ऐप्स बच्चों के फोन पर अनचाहे या हानिकारक कंटेंट को ब्लॉक करने में मदद करते हैं।

स्क्रीन टाइम लिमिट का करें यूज

बच्चों के स्मार्टफोन यूज को कंट्रोल करने के लिए स्क्रीन टाइम लिमिट लगाना अच्छा तरीका है। एंड्रॉइड और iOS दोनों में स्क्रीन टाइम लिमिट सेट करने का विकल्प होता है। इसके जरिए आप यह तय कर सकते हैं कि बच्चे कितने समय तक कौन-सी ऐप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। समय सीमा खत्म होने के बाद स्मार्टफोन खुद ही ऐप्स को लॉक कर देता है, जिससे बच्चे को ज्यादा देर तक फोन पर समय बिताने से रोका जा सकता है। आप दिन के अंत में बच्चे के स्क्रीन टाइम और ऐप्स के इस्तेमाल की रिपोर्ट देख सकते हैं, जिससे यह समझने में मदद मिलती है कि कौन-सी ऐप्स बच्चे का ज्यादा समय ले रही हैं।

ऐप पिनिंग से करें कंट्रोल

ऐप पिनिंग फीचर के जरिए बच्चे केवल एक विशेष ऐप का ही उपयोग कर सकते हैं। जैसे अगर वे यूट्यूब किड्स देख रहे हैं, तो वे सिर्फ उसी ऐप तक सीमित रहेंगे और अन्य ऐप्स नहीं खोल पाएंगे। स्मार्टफोन में सोशल मीडिया ऐप्स और गेम्स पर पासकोड सेट करें। इससे बच्चे को आपकी अनुमति के बिना उन ऐप्स को खोलने का मौका नहीं मिलेगा।

नोटिफिकेशन 

बार-बार सोशल मीडिया और गेम्स ऐप्स से आने वाले नोटिफिकेशन बच्चों का ध्यान भटकाते हैं। नोटिफिकेशन सेटिंग्स में जाकर सोशल मीडिया ऐप्स की नोटिफिकेशन को बंद कर दें। इससे बच्चों का बार-बार फोन चेक करने का मन नहीं करेगा। डू नॉट डिस्टर्ब मोड ऑन करने से बच्चों को पढ़ाई और सोते समय डिस्टर्बेंस नहीं होगी। इससे वे बिना किसी परेशानी के अपनी एक्टिविटीज पर फोकस कर सकेंगे। यदि डू नॉट डिस्टर्ब मोड इस्तेमाल में न हो, तो फोन को साइलेंट मोड में रखें, ताकि ऐप्स के नोटिफिकेशन बच्चों के ध्यान को न भटकाएं।

फैमिली शेयरिंग फीचर और एक्टिविटी रिपोर्ट्स 

फैमिली शेयरिंग फीचर और एक्टिविटी रिपोर्ट्स पैरेंट्स को बच्चों के फोन यूज पर नज़र रखने में मदद करते हैं। फैमिली शेयरिंग फीचर से माता-पिता अपने फोन से ही बच्चों के फोन की गतिविधियों को मॉनिटर कर सकते हैं। वे ऐप्स की डाउनलोडिंग को अप्रूव कर सकते हैं, स्क्रीन टाइम लिमिट सेट कर सकते हैं और अनचाहे कंटेंट को ब्लॉक कर सकते हैं। बच्चों के फोन पर एक्टिविटी रिपोर्ट्स का यूज कर सकते हैं। इससे माता-पिता जान सकते हैं कि बच्चा कितने समय तक कौन-सी ऐप्स का उपयोग कर रहा है। कुछ फैमिली शेयरिंग ऐप्स में लोकेशन ट्रैकिंग भी होती है, जिससे बच्चों की सुरक्षा तय की जा सकती है।

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