नई दिल्‍ली। भारत में सूदखोरी के मामलों में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। सूदखोरी का कारोबार कर्जदारों को आर्थिक परेशानी में डालता है। कई मामलों में उन्हें गंभीर मानसिक तनाव का भी सामना करना पड़ता है। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए केंद्र सरकार एक सख्त कानून लाने की तैयारी कर रही है। यह कानून कर्जदारों की सुरक्षा और सूदखोरों पर अंकुश लगाने के लिए बनाया जा रहा है। इसमें दोषियों को कड़ी सजा और भारी जुर्माने का प्रावधान होगा।

अनियमित लोन एक्टिविटीज क्या हैं?

यदि किसी ऐसे संस्था या व्यक्ति द्वारा कर्ज दिया जा रहा है, जो किसी नियामक (जैसे आरबीआई) या कानून के तहत रजिस्टर्ड नहीं है। वह लेन-देन डिजिटल मीडियम या अन्य तरीकों से भी किया जा सकता है। जैसे-बिना लाइसेंस वाले व्यक्ति या संस्थान द्वारा उधार देना। उन लोन ऐप्स का यूज करना, जो आरबीआई के मापदंडों का पालन नहीं करते। हाई इंटरेस्ट रेट पर कर्ज देकर लोगों को ठगना। 

नए कानून की खास बातें

रिपोर्ट के अनुसार, सूदखोरी के मामलों पर रोक के लिए कानून का जो मसौदा तैयार किया गया है। उसमें रिश्तेदारों से कर्ज लेने या देने की अनुमति है। लेकिन अन्य सभी अनियमित कर्ज लेन-देन पर रोक लगाई जाएगी। अवैध रूप से कर्ज देने वालों को दो साल से लेकर सात साल तक की सजा हो सकती है। जुर्माने की राशि दो लाख रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक हो सकती है। अगर वसूली के दौरान कर्जदार को परेशान किया गया, या कर्ज वसूली के लिए गैर कानूनी तरीकों का यूज किया गया तो दोषी को तीन से 10 साल तक की जेल हो सकती है। यदि मामला बड़ा हो और कई राज्यों या केंद्रशासित प्रदेशों तक फैला हो, तो इसकी जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा सकती है।

डिजिटल लोन ऐप्स पर लगाम

डिजिटल लोन ऐप्स के जरिये धोखाधड़ी के मामले तेजी से बढ़े हैं। गूगल प्ले स्टोर और अन्य प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कुछ लोन ऐप्स द्वारा लोगों को ठगने के मामले सामने आए।  कई ऐप्स ने कर्ज वसूलने के लिए कर्जदारों को ब्लैकमेल कर धमकी भी दी। कुछ मामलों में कर्जदारों ने आत्महत्या तक कर ली। ऐसे मामलों पर रोक के लिए आरबीआई ने 2021 में डिजिटल उधारी पर एक कार्यसमूह गठित किया, जिसने फर्जी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने और सख्त कानून बनाने की सिफारिश की थी।

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