ड़कों पर अक्सर घूमते आवारा पशुओं दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। खासकर यूपी के जिलों में साड़ों से होने वाली दुर्घटनाएं अधिक हो रही हैं। सड़कों पर बेखौफ घूमते ये आवारा पशु अब तक कई लोगों की जान ले चुके हैं, तो कईयों की जिंदगी तबाह कर चुके हैं। इन हादसों के शिकार लोग इसे नियती का खेल मानकर मौन हो जाते हैं, लेकिन रुकिए! क्या आपको पता है कि आवारा पशुओं की वजह से होने वाली दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को तगड़ा मुआवजा मिलता  है। अगर नहीं पता है तो चलिए आज MY NATION Hindi आपको बताता है कि इस तरह के हादसों के शिकार लोग कहा और कैसे मुआवजे का दावा ठोक सकते हैँ। 

देश में हर साल 1000 लोगों की हो रही मौत
अक्सर देखा जाता है कि सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं की चपेट में आने से या फिर उनके हमले से लोग घायल होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। जहां उनके इलाज के हजार से लेकर लाखों तक खर्च हो जाते हैं। कईयों की तो जान तक चली जाती है। इसके बावजूद लोग सांड या अन्य आवारा पशुओं के हमले की घटना को नियति मानकर चुप हो जाते हैं, जबकि उनका अधिकार होता है कि वह सरकार से मुआवजे की मांग कर सकते हैं। सरकारी आंकड़ाें की बात करें तो देश में 50 लाख से ज्यादा आवारा पशु सड़कों पर रोज घूमते मिलते हैँ। इन जानवरों की  चपेट में आकर प्रतिवर्ष 1000 से ज्यादा लोग अपनी जान गवांते हैं। कम से कम 5 हजार लोग घायल होकर अस्पताल की चौखट पर पहुंच जाते हैँ।

नगर निगम की होती है जिम्मेदारी
आपको जानकर हैरानी होगी कि आवारा पशुओं के हमले को दुर्घटना नहीं माना जाता , यह एक तरह की लापरवाही मानी जाती है यानि अगर शहरी क्षेत्र में आवारा पशुओं की वजह से कोई दुर्घटनाग्रस्त होता है तो इसके लिए पूरा का पूरा जिम्मेदार नगर निगम होता है।

यूपी सरकार देती है 4 लाख का मुआवजा
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार तो सांड और नीलगाय की वजह से जान गवाने वाले लाेगों के परिवार को 4 लाख का मुआवजा देती है लेकिन आप कोर्ट के जरिए मुआवजे की धनराशि और ज्यादा पा सकते हैं। ऐसे ही  गुजरात के राजकोट के मामले देखा गया है। जिसमें आवारा पशुओं के हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। उसके परिवार के लोग कोर्ट की शरण में गए। कोर्ट ने विधिक प्रक्रिया पूरी करने के बाद नगर निगम पर 13 लाख जुर्माना लगाया। उस धनराशि को मृतक के परिवार को देने को कहा गया।