Human-Wildlife Conflict: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (NWB) की बैठक में मानव-वन्यजीव संघर्ष को सबसे गंभीर चुनौतियों में से एक बताया। उन्होंने इसका समाधान निकालने के लिए एक नई केंद्रित योजना बनाने पर जोर दिया।

मानव-वन्यजीव संघर्ष क्यों बढ़ रहा है?
बुनियादी ढांचा परियोजनाओं और कृषि भूमि के विस्तार के कारण वन्यजीवों के आवास प्रभावित हो रहे हैं। बाघ, शेर, तेंदुए, गैंडे और हाथी जैसे जंगली जानवर अब राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों से बाहर निकलने को मजबूर हो रहे हैं। भारत में वन्यजीव संरक्षण (Wildlife conservation) को सफलता के रूप में देखा जाता है, जब लुप्तप्राय प्रजातियों की संख्या बढ़ती है, लेकिन अब यह समस्या भी बन रही है। जैसे-जैसे जानवरों की संख्या बढ़ रही है, उनके लिए पर्याप्त भोजन, पानी और जगह मिलना कठिन होता जा रहा है।

गिर के शेर: सफलता या नई समस्या?
गिर के शेरों का संरक्षण भारत में वन्यजीव (Wildlife) नीति का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है। 20वीं सदी की शुरुआत में इनकी संख्या 20 से भी कम रह गई थी, लेकिन 2020 में हुई जनगणना में यह 670 से अधिक हो गई। हालांकि, यह सफलता अब नई समस्याएं खड़ी कर रही है।

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300 से अधिक शेर अब गांवों और शहरों के करीब  
गिर के आधिकारिक जंगल से बाहर 300 से अधिक शेर अब गांवों और शहरों के करीब देखे जा रहे हैं। वे भोजन की तलाश में इंसानी बस्तियों में प्रवेश कर रहे हैं और मवेशियों पर हमला कर रहे हैं। कई बार वे रेलवे ट्रैक और सड़कों पर भी आ जाते हैं, जिससे दुर्घटनाएँ हो रही हैं। गुजरात सरकार (Gujarat Government) ने शेरों को दूसरे राज्यों में स्थानांतरित करने के सुझाव का विरोध किया है, जिससे इस समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

नई योजना: 2,900 करोड़ रुपये और AI तकनीक का उपयोग
प्रधानमंत्री मोदी ने NWB बैठक में 2,900 करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी दी है, जो ‘प्रोजेक्ट लायन’ के तहत आएगी। इसके तहत जंगलों में आग और मानव-वन्यजीव संघर्ष से निपटने के लिए AI तकनीक का उपयोग किया जाएगा। स्थानीय समुदायों को वन्यजीव संरक्षण में अधिक भागीदारी दी जाएगी। बायोडायवर्सिटी बनाए रखने के लिए विशेष निगरानी केंद्र स्थापित किए जाएंगे।

क्या है आगे का रास्ता?
वन्यजीव  (Wildlife) नीति को अब इस बात पर ध्यान देना होगा कि बढ़ती संख्या के साथ जानवरों को कैसे नियंत्रित किया जाए। जंगलों की क्षमता को समझना और नए आवास विकसित करना जरूरी हो गया है। विज्ञान और आधुनिक तकनीक को प्राथमिकता देकर ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। अगर सही रणनीति अपनाई जाए, तो मानव-वन्यजीव (human-wildlife) संघर्ष को कम किया जा सकता है। वन्यजीव संरक्षण केवल संख्या बढ़ाने तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि उनके लिए सुरक्षित आवास और भोजन सुनिश्चित करना भी आवश्यक है। प्रधानमंत्री मोदी की नई योजना से उम्मीद की जा सकती है कि यह समस्या जल्दी ही हल होगी।

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